गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद कैसा जीवन होता है? स्वर्ग और नरक कैसा होता है? इस पर कुछ विशेष बातें बताई गई हैं। दुनियां में आना एक सुखद अनुभव का प्रतीक है और यहाँ से जाना दुखद परन्तु यह सात्विक सत्य है जो भी इस दुनियां में जन्मा है उसे यहाँ से जाना है। हम सभी ये तो जानते ही हैं कि गंगाजल कितना पवित्र होता है आज भी इसकी पवित्रता उतनी ही है। मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो व्यक्ति के मौत के समय उसके मुंह में गंगाजल दिया जाए या सिर के पास रखा जाए तो उस व्यक्ति का तन-मन शुद्ध माना जाता है, जिसके कारण उसे यमराज का भय नहीं होता।
मरने को लेकर कई तरह की भ्रांतिंया लोगों में होती है, जिससे लोग हमेशा से ही डरते आये है। गरुड़ पुराण ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें पूर्णता मनुष्य के जन्म और मृत्यु से जुड़े रहस्य के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। कहा गया है कि अगर मौत के समय तुलसी का पत्ता या पौधा उसके सिर के पास होता है तो उसे यमदूत का भय नहीं रहता। भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय है, शायद यही कारण है कि ये भगवान विष्णु के सिर पर विराजित हैं।
इस पृथ्वी पर कुछ ऐसी भी चीजे है, जिससे लगता है व्यक्ति नरक जायेगा या स्वर्ग लेकिन ऐसी चीजो से शायद बच सकते है नर्क जाने से। जब कोई मनुष्य मृत्यु को प्राप्त करता है तब लोग कहते हैं कि भगवान उस आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे अर्थात उसे स्वर्ग में स्थान मिले। मृत्यु शैय्या पर लेटे व्यक्ति के लिए रामायण का पाठ करना बेहद ही लाभदायक माना गया है क्योंकि भगवान राम भी विष्णु के अवतार हैं, इस ग्रंथ में भगवान विष्णु के रामावतार की कथा है, जिसे सुनने से मन आनंद से भर आता है और मृत्यु पाने वाले व्यक्ति के लिए मुक्ति की राह आसान हो जाती है।
जो मनुष्य जीवित रहते हुए गलत कार्य करते हैं या फिर दुष्ट होते हैं वह नरक जाते है। व्यक्ति को कभी भी किसी का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए। गीता जिसे एक पवित्र ग्रंथ माना जाता है और इसे लेकर लोग कसमें भी खाते हैं। मान्यता है कि इसके अनुसरण से व्यक्ति को बेहतर जीवन का मार्ग मिलता है और यही कारण है कि मौत से पहले अगर किसी व्यक्ति के सामने गीता का पाठ किया जाए तो व्यक्ति का तन और मन का मोह दूर होता है।
नरक का जीवन बहुत ही कठिन होता है। किसी के साथ विश्वासघात कभी नहीं करना चाहिए। लोग अच्छे कर्म करते हैं वह स्वर्ग जाते हैं।
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