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कुछ किसान नेताओं व प्रदर्शनकारियों के कारण लाखों लोगों के कामकाज हो रहे प्रभावित, छिन रहे रोजगार

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली – एनसीआर के बॉर्डर “सिंधु, टिकरी, शाहजहांपुर व गाजीपुर” पर पंजाब, हरियाणा एवं यूपी सहित कई राज्यों के किसानों का प्रदर्शन अब भी जारी है। कुछ किसान नेताओं व प्रदर्शनकारियों द्वारा जारी इस आंदोलन को करीब 10 महीने यानी 300 दिन बीत चुके हैं, लेकिन किसान हैं कि अपनी जिद से पीछे ही नहीं हट रहे हैं। इस प्रदर्शन के कारण दिल्ली – एनसीआर का जनजीवन इतना प्रभावित हो चुका है कि लोगों को अपने दफ्तर या अन्य किसी दूसरे स्थानों पर जाने के लिए आधे घंटे का अतिरिक्त समय लेकर चलना होता है

, क्योंकि दिल्ली के चारों तरफ बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों के कारण रास्ते चारों ओर से ब्लॉक हो रखे हैं, इधर – उधर से बनाए गए कृत्रिम – वैकल्पिक रास्तों से होकर लोगों को जाना पड़ता है। दिल्ली – मेरठ एक्सप्रेस – वे की बात की जाए तो जिस दिन से उसका उद्घाटन हुआ है, तभी से वहां प्रदर्शनकारियों ने डेरा जमा रखा है। यदि नोएडा व गाजियाबाद से होकर भी लोग दिल्ली जाते हैं तो भी उन्हें वैकल्पिक रास्तों का सहारा लेना पड़ता है। यूपी गेट, गाजीपुर बॉर्डर व सिंधु बॉर्डर सभी जगहों पर यही स्थिति दिखाई देती है। इससे लोगों के समय और ईंधन दोनों ही बर्बाद हो रहे हैं।

सोनीपत और बहादुरगढ़ के बॉर्डर की भी यही स्थिति है। पिछले 10 महीनों से चल रहे इस प्रदर्शन के कारण जनजीवन पर जो प्रभाव पड़ा है, मानवाधिकार आयोग द्वारा राज्यों से इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। आयोग द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनोमिक ग्रोथ से औद्योगिक व वाणिज्यिक गतिविधियों और उत्पादन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव एवं आवागमन में व्यवधान तथा अतिरिक्त व्यय की भी जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा प्रदर्शन के कारण आजीविका, जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव और कमजोर व बुजुर्गों पर पड़ने वाले असर का भी आंकलन करते हुए रिपोर्ट देने को कहा गया है। निश्चित ही लोग अपनी परेशानियों को लेकर मानवाधिकार आयोग तक पहुंचे हैं, इसीलिए सजगता से संज्ञान लिया गया है।

यूपी गेट से प्रतिदिन 2 लाख वाहनों की आवाजाही होती है। प्रदर्शनकारियों के कारण लोगों को 5 किमी. तक की अतिरिक्ति दूरी तय करके अन्य सीमाओं का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रतिदिन 3 लाख लीटर ईंधन बिना किसी कारण के बर्बाद होता है। खोड़ा, ईडीएम माल, महाराजपुर, चंद्रनगर, ज्ञानी बार्डर व भोपुरा सीमाओं से होकर वाहनों को गुजारा जा रहा है। दबाव अधिक होने के कारण नियमित जाम की स्थिति बनी रहती है। प्रदर्शनकारियों का राष्ट्रीय राजमार्ग-नौ, यूपी गेट पर प्रदर्शकारियों ने क्षति पहुंचाई है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और सम्पर्क मार्ग पर कब्जा भी उनका कब्जा है। यहां पर पक्का निर्माण करके शौचालय बनाया गया है
टेंट लगाने के लिए हाईवे की खुदाई भी कर दी गई है। टेंटों के किनारे एक-एक फीट का पक्का निर्माण किया गया है। आग जलाने से सड़क भी कमजोर हो चुकी है। पथ प्रकाश व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है तथा चोरी की बिजली का उपयोग किया जा रहा है।

यही हालात कुंडली टिकरी बॉर्डर के भी हैं। कुंडली – टीकरी बॉर्डर बंद होने के कारण लोगों को 10 से 45 किमी. तक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। कुंडली टीकरी बॉर्डर बंद होने की वजह से प्रतिदिन छोटे और बड़े वाहन दिल्ली आते – जाते हैं। मौजूदा स्थिति के कारण कुंडली बॉर्डर के आसपास की 50 से अधिक दुकानें भी बंद हो चुकी हैं तथा कुंडली मॉल में 25 दुकानें बंद हो चुकी हैं। इसके अलावा 7 किमी. जीटी रोड़ की सर्विस लेन का हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। प्रदर्शन के कारण 7 किमी. तक कुंडली बॉर्डर से पानीपत तक जीटी रोड़ के चौड़ीकरण का कार्य भी बंद पड़ा है। राई, कुंडली व नाथूपुर औद्योगिक क्षेत्र से छोटे-बड़े वाहन गुजरने के कारण इन क्षेत्रों के मार्ग पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं।

ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुके हैं। केवल अपने हित के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाना, जन सुविधाओं को प्रभावित करते हुए इसे मानवीयता की मिसाल नहीं कहा जा सकता और न ही यह कोई संवैधानिक अधिकार है। जनहित और देशहित के लिए जीने वाला किसान कभी भी ऐसी सोच नहीं रख सकता। इसमें केवल अपना हित देखने वाले, देश व सरकार की छवि खराब करने वाले लोग ही शामिल हैं। देश व जनहित को प्रभावित करने वाली इतनी बड़ी परेशानी का संज्ञान लेकर इसका हल निकालने में क्यों सरकार सक्षम नहीं हो पा रही है ?

Avinash Kumar Singh

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