हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले की शैली राठी की यूपीएससी परीक्षा पास करने की कहानी काफी संघर्ष भारी रही है। लगातार 4 बार की असफलता के बाद 5वीं बार में शैली राठी ने यूपीएससी में 308वीं रैंक प्राप्त की। चार बार की असफलता के बाद एक समय ऐसा भी आया जब उसने यूपीएससी की तैयारी छोड़ने का पूरी तरह से मन बना लिया था। लेकिन शैली के परिवार वालों ने उसे सपोर्ट किया और एक बार फिर उसने यूपीएससी की परीक्षा दी।
पेशे से किसान सतीश राठी की बेटी शैली राठी 10वीं कक्षा में जिले भर पर टॉपर और बीटेक में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। बेटियों को पढ़ाने के लिए लिए शैली के पिता सतीश राठी खरहर गांव को छोड़कर बहादुरगढ़ रह रहे हैं। बहादुरगढ़ जिले से गांव खरहर जाकर वे खेती करते हैं।
शैली ने बताया कि एक बार उनके चाचा ने कहा था बेटी बड़ी होकर डीसी बनेगी। तभी से उसने संकल्प ले लिया था कि यूपीएससी परीक्षा पास करके वह परिवार का सपना साकार करेगी। अपनी सफलता का श्रेय शैली ने अपने माता – पिता व चाचा सहित पूरे परिवार को दिया।
शैली के पिता सतीश राठी ने बताया की वह अपनी बड़ी बेटी की पढ़ाई के लिए जब गांव से शहर आए तो वे किराए पर रहे थे, तत्पश्चात उन्होंने अपना घर बनाया। खेती व किसानी में उन्हें उनके भाइयों द्वारा पूरा सहयोग मिला। पढ़ाई में उन्होंने अपनी बेटी का पूरा सहयोग दिया और उसे आगे बढ़ने के लिए सदैव प्रेरित किया। अपनी बेटी की सफलता से वे बेहद खुश हैं।
शैली की मां सुंदरी देवी ने अन्य माता – पिता से अपील करते हुए अपनी बेटियों को पढ़ाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि एक बेटी को पढ़ाने से दो परिवार आगे बढ़ते हैं, देश व समाज आगे बढ़ता है। सुंदरी देवी ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को कभी भी निराश नहीं होने दिया और यदि वह निराश होती भी थी तो वे उसके पास बैठकर बातें करती और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। माता सुंदरी देवी को अपनी बेटियों पर नाज है।
यूपीएससी परीक्षा पास करने में शैली कोचिंग के अलावा अपने दोस्तों की भी सराहना कर रही है। शैली राठी का कहना है कि परीक्षा के संदर्भ में अनेकों सवालों के जवाब दोस्तों के जरिए ही हाल हो जाते थे। करीब 8 से 10 घंटों की पढ़ाई वह रोज करती थी। युवाओं के लिए शैली का कहना है कि वे अपने लक्ष्य की ओर फोकस्ड रहने के अलावा सेल्फ स्टडी भी बेहद जरूरी है। असफलताओं से घबराकर कभी हार नहीं माननी चाहिए। असफलता ही सफलता की सीढ़ी बनती हैं। शैली ने स्वयं चार बार की असफलता के बाद पांचवीं बार सफलता प्राप्त की है।
शैली का कहना है कि वर्तमान समय में बाटियां प्रत्येक क्षेत्र में आगे हैं। माता – पिता को अपनी बेटियों को पढ़ाई के लिए सदैव मोटिवेट करते रहना चाहिए। शैली का कहना है कि वह सिविल सर्विस में रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना चाहती है।
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