यू. इन. इस.सी के चुनाव: भारत को मिला भारी समर्थन, पूर्ण बहुमत से बने परिषद के सदस्य

गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मे भारत को सदस्य्ता प्राप्त हुई जिसमें अंतराष्ट्रीय समुदाय ने भारत को अत्यधिक समर्थन दिया है और पूर्ण बहुमत से जीत दिलवाई है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को धन्यवाद करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आभार भी प्रकट किया है और यह भी कहा है कि ” भारत सभी देशों के साथ काम करते हुए विश्व शांति, सुरक्षा, और समानता को बढ़ावा देगा। विदेश मंत्री इस. जयशंकर ने भी भारत की इस जीत पर शुभ सन्देश दिया है।

संयुक्त राष्ट्र मे भारत का स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने प्रसन्न्ता जताते हुए बताया कि सुरक्षा परिषद के लिए हुए चुनाव मे भारत को भारी समर्थन मिला है।

यू. इन. इस.सी के चुनाव: भारत को मिला भारी समर्थन, पूर्ण बहुमत से बने परिषद के सदस्य

भारत को जनरल असेंबली मे 192 वोट्स मे से 184 वोट्स प्राप्त हुए है। इन वोट के कारण भारत को सुरक्षा परिषद मे अस्थायी सदस्य बना दिया है। भारत का 2 वर्ष का कार्यकाल 1 जनवरी, 2021 से शुरू होगा।

क्या भारत को सुरक्षा परिषद की सदयस्ता पहली बार प्राप्त हुई है?

भारत इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आठवी बार अस्थायी सदस्य बना है। भारत के साथ आयरलैंड, मेक्सिको, और नॉर्वे को भी 2021-22 की टर्म की सदस्य्ता प्राप्त हुई है। भारत इस से पहले 7 बार सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बन चुका है – 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 and 2011-12।

भारत के लिए कितनी महत्वपूर्ण थी परिषद की सदस्यता वो भी भारत-चीन तनाव के समय ?

नीति व रीति के दृष्टिकोण से भारत ने सदस्य होने के लिए विशेष जोर डाला था। अस्थायी सदस्य की सीट रोटेशन से ही प्राप्त होती है और भारत को सदस्य्ता सीधा 2030 मे मिलनी थी क्योंकि भारत को पहले ही 2011-12 मे सदस्य्ता मिल चुकी है। पर भारत ने इस वर्ष भी सदस्य्ता लेने का प्रयास किया और अफ़ग़ानिस्तान ने अछि मित्रता दर्शाते हुए अपनी उम्मीद्वारी वापिस लेली और उसके बाद भारत को उम्मीदवार बनने का मौका मिला। 2019 मे 55 सदस्यों का एशिया- पसिफ़िक समूह (जिसमे चीन और पाकिस्तान भी शामिल थे) ने 2021-22 की सीट के लिए भारत का समर्थन किया था। परिषद का सदस्य बनने के बाद भारत अपनी समस्या बड़े मंच व बड़े देशो के बीच रख सकता है।

बेल्जियम, डोमिनिकन रिपब्लिक, जर्मनी, इंडोनेशिया, और दक्षिण अफ्रीका का दो साल का कार्यकाल इस साल खत्म हो रहा है। किसी भी देश को परिषद का सदस्य बनने के लिए परिषद की दो तिहाई बहुमत की ज़रूरत होती है।

Written By Harsh Dutt

Avinash Kumar Singh

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