प्रमुख सचिव परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ने बताया कि इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए प्रवर्तन विभाग की 55 टीमें सड़कों पर लगातार काम कर रही हैं। उनके द्वारा तीन क्षेत्रों में उपायुक्तों की एक विकेन्द्रीकृत संरचना को अद्यतन किया गया है।
उनका एक आदेश यह सुनिश्चित करना है कि सड़कों की बाईं ओर कोई भी अतिक्रमण न हो। यह सब यातायात पुलिस की सहायता से किया जाएगा।
उनका कहना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में उन्होंने एक उच्च-स्तरीय बैठक की थी। बस या अन्य भारी माल वाहनों के लिए समर्पित लेन पर अतिक्रमण न किया जाए ताकि सड़क का वह हिस्सा मोटर चालित परिवहन के लिए उपयोगी हो सके। इसके लिए वह यातायात पुलिस के साथ सहयोग भी कर रहे हैं।
शहर की एक–तिहाई सड़कों पर होता है अतिक्रमण
बता दें कि शहर की लगभग एक-तिहाई सड़कों पर आमतौर पर पार्क किए गए वाहनों और रेहड़ी-पटरी वालों द्वारा अतिक्रमण कर लिया जाता है। जिससे सभी आकारों के परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण जगह किसी काम की नहीं रहती और यह एक ही लेन में जाने के लिए मजबूर होते हैं। इससे ट्रैफिक स्लो हो जाता है।
समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
शुक्रवार को परिवहन विभाग ने दिल्ली में सड़क सुरक्षा परियोजनाओं, नीतियों पर संयुक्त रूप से काम करने के लिए IIT-दिल्ली के फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए।
ताजमहल में किया शिखर सम्मेलन का उद्घाटन
ताजमहल होटल में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सड़क सुरक्षा 2021 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। वहीं लोगों के बीच इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए छः महीने के सोशल मीडिया अभियान का भी उद्घाटन किया।
वैज्ञानिक विश्लेषण के महत्व को किया साझा
लॉन्च के समय मंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाने के लिए समय पर वैज्ञानिक विश्लेषण के महत्व को भी साझा किया।
गहलोत ने कहा कि वैज्ञानिक विश्लेषण की सहायता से दुर्घटना के वास्तविक कारणों का आसानी से पता लगाया जा सकता है। वे दिल्ली पुलिस के संपर्क में हैं। उन्होंने पुलिस से यह अनुरोध भी किया है कि जब भी कोई दुर्घटना होती है तो वे उन्हें सूचित करें।
ऐसा इसलिए क्योंकि सड़क के सदस्य सुरक्षा प्रकोष्ठ सबूतों को हटाने से पहले साइट की जांच कर सकता है। इससे उन्हें ड्राइवर, डिजाइन या कोई अन्य कारक दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक
उन्होंने आगे कहा कि सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए हैं। स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक उसी दिशा में एक सचेत कदम है।
यदि वह संवेदनशील, समझदार ड्राइवर तैयार कर सकते हैं, तो वह सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को भी कम कर सकते हैं। जिनमें से अधिकांश समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से पीड़ित आते हैं।
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