गाँधी परिवार के बारे में भारत का बच्चा-बच्चा जानता है। हर कोई गाँधी परिवार के सदस्यों को जानता है। गांधी परिवार के बेटे और कांग्रेस नेता संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 को हुआ था। संजय गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे थे, लेकिन राजनीति का ज्ञान अपनी मां से भी ज्यादा रखते थे। संजय गांधी का नाम सबसे ज्यादा इमरजेंसी के लिए याद किया जाता है।
जब संजय गाँधी की मृत्यु हुई तो वो काफी मार्मिक दृश्य था। एक पेड़ की शाखाओं में एक हैलीकाॅप्टर फंसा हुआ है। जब उस हैलीकाॅप्टर को नीचे उतारा गया तो उसमें से दो लाशें निकलीं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणी की तो पूरे देश में हड़कंप मच गया था।
इमर्जेन्सी को आज भी देश याद करता है तो रूह काँप जाती है। इस दिन को देश के इतिहास का सबसे काला दिन माना गया जो करीब दो साल तक रहा। कहा जाता है कि अगर उस दौरान सत्ता संजय गांधी के हाथों होती तो वो 35 सालों तक इमरजेंसी लगे रहने देते। हालांकि इमरजेंसी के दौरान जितने फैसले लिए गए उन पर संजय गांधी का ही प्रभाव था।
कहा जाता है जब संजय गाँधी की मृत्यु हुई तो प्रधानमंत्री ने जब अपने बेटे को देखा तो वो फफक कर रो पड़ीं। संजय गांधी राजनीति में माहिर थे उन्हें हवा में चार्टर प्लेन से कलाबाजियां करना भी बेहद पसंद था। इंदिरा गांधी के योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी उस वक्त इंदिरा के यहां रहते थे। संजय गांधी रोज की तरह चार्टर प्लेन की तरफ जा रहे थे तभी उनको धीरेंद्र ब्रह्मचारी मिले। उनसे साथ चलने को कहा तो उन्होंने बोला- मैंने तुम्हारी रफ्तार के किस्से सुने है मुझे छोड़ दो। कुछ ही दिन पहले एक नया चार्टर प्लेन आया था पिट्स-एस- 2ए जो आसमान में गुलाटियां खा सकता था।
23 जून 1980 को संजय गांधी सुबह सुबह प्रधानमंत्री आवास 1, सफदरजंग से हरे रंग की गाड़ी से निकले। संजय गांधी वहां से सफदरजंग एयरपोर्ट पहुंचे जहां पहले से फ्लाइंग ट्रेनर सुभाष सक्सेना उनका इंतजार कर रहे थे। कुछ समय बाद संजय का चार्टर प्लेन से नियंत्रण छूट गया। थोड़ी देर बाद प्लेन आवाज करते हुए नीचे गिरा। संजय गांधी का प्लेन क्रैश हो गया और एक पेड़ के बीच फंस गया।
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