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हरियाणा की मिट्टी से अमरीका की उड़ान तक। आईए जानते है कल्पना चावला की कहानी

हरियाणा भारत का एक ऐसा राज्य है जो बहुत ही आगे है लेकिन लड़कियों के मामले में थोड़ा सा पीछे है, जहा पर लड़कियों को हमेशा से ही कुछ भी करने पर रोक टोक की जाती है, पाबंदी लगाई जाती है। ना तो उन्हें अच्छी सेहत के लिए सुविधाएं मिलती है, न ही ज्यादा पढ़ाई करने के मौके और ना तो बाहर जाकर काम करने की अनुमति।
लेकिन हरियाणा की भूमि ने ऐसी बेटियो को भी जन्म दिया है जो अपने कदम अंतरिक्ष तक लेके गई है। जिन्होंने सारी मुश्किलों का सामना कर अपने सपनो को पूरा किया है।
हम बात कर रहे हरियाणा की एक ऐसी ही बेटी जिनका नाम है कल्पना चावला, जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है।

हरियाणा की मिट्टी से अमरीका की उड़ान तक। आईए जानते है कल्पना चावला की कहानी



कल्पना चावला हरियाणा की बेटी और भारत की पहली महिला थी जिन्होंने अंतरिक्ष में जाने के लिए उड़ान भरी थी।
कल्पना चावला नासा की वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री थी जिनका निधन 1 फरवरी को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण हुआ।


कल्पना चावला यूं तो अब हमारे बीच नहीं ही लेकिन हम सब के दिलो मे आज भी जिंदा है। वो आज भी बोहोत सी महिलाओं के लिए प्रेरणा का श्रोत और सभी को सीखा कर गई है की सपनो को पूरा किया जा सकता है चाहे वो कितने भी बड़े क्यों ना हो।


कल्पना चावला दुनिया भर में कामयाबी की मिसाल है और साथ ही भारत का सर ऊंचा कर गई है।

तो आईए थोड़ा सा और नजदीक से जानते है कल्पना चावला को और उनकी भूमिकाएं जो उन्हे अमर बना गई।



-कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 हरियाणा के करनाल में हुआ। उनके पिता बनारसी लाल चावला और मां संज्योति की चार भाई बहनों में सबसे छोटी बेटी थी।



-घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू कहते थे. शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. जब वह 8वीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर की।



-उनकी उड़ान में दिलचस्पी J R D Tata ‘जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा से प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।



– कल्पना के पिता उन्हें डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे. परिजनों का कहना है कि बचपन से ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में थी. वह अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता उनकी इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे।



– 1982 में कल्पना अपने सपनो को सच करने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान की पढ़ाई करने अमेरिका रवाना हुई। फिर साल 1988 में वो नासा अनुसंधान के साथ जुड़ीं। जिसके बाद 1995 में नासा ने अंतरिक्ष यात्रा के लिए कल्पना चावला का चयन किया।



– कल्पना ने अंतरिक्ष की तरफ अपनी पहली उड़ान एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से पूरी करी थी. इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी।



-अपनी पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी की। अपने पहले मिशन के कामयाबी के बाद कल्पना ने अपनी दूरी और आखरी उड़ान कोलंबिया शटल 2003 से भरी.

– कल्पना ने अपनी दूसरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू करी. यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था, जो पूरी तरह से विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था।



– 1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस आने के क्रम में यह यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया.
1 फरवरी 2003 (आयु 41 वर्ष) टेक्सास के ऊपर कल्पना की मृत्यु हुई।



मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही पता लग गया था अब यह वापस धरती पर nhi उतरेगा। यह पहले पता चल गया था की 7 ओ अंतरिक्ष यात्री कभी धरती पर वापस नहीं आएंगे उनकी मौत पक्की है। इसके बावजूद भी नासा ने ये जानकारी यात्रियों और उनके परिवार वालो को नही दी। बात हैरान करने वाली है लेकिन यही सच है। इसका खुलासा मिशन कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने किया था।

अंतरिक्ष यात्रियों के ऊपर मौत का साया था और उन्हें इस बात की भनक तक नही थी। वह नही जानते थे कि कभी धरती पर वापस नहीं जायेंगे और वह हमेशा हमेशा के लिए धरती को चोद कर आ चुके है। वह जी जान से अपना काम करते रहे और पल पल की खबर नासा को देते रहे लेकिन इन सब के बाद भी नासा चुप रहा।



उस वक्त सवाल ये था कि आखिर नासा ने ऐसा क्यों किया? क्यों उसने अंतरिक्ष यात्रियों से उनके परिवार वालो से ये बात छुपाई. असल में नासा के वैज्ञानिक नहीं चाहते थे कि मिशन पर गये अंतरिक्ष यात्री घुटघुट अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हों को जिएं. उन्होंने बेहतर यही समझा की मिशन पर गए यात्री आखरी तक खुश रहे। वो नही चाहते थे वह सब दुखी होकर इस दुनिया से जाए। वैसे भी मौत तो तेय ही थी।



आज हमारे बीच कल्पना चावला नही है, लेकीन वह अमर है और हम सब के दिलो में ज़िंदा है। कल्पना ने इतिहास के पन्नो में अपना नाम लिखा और जाने से पहले वह हम सब को जीना सिखा गई है। उन्होंने बताया है की अपने सपनो को कैसे पूरा किया जाता है। उन्होंने दिखाया है की अपने पंख को फेला कर कैसे उड़ान भरी जाती है।

By Jatin Choudhary

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