महामारी का का असर इस बार कांवड़ यात्रा पर भी पड़ा है | शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांवड़ यात्रा के संबंध में बात – चीत की । बात-चीत के बाद तय किया गया कि शिवभक्तों की सुरक्षा प्राथमिकता में है। इसलिए कांवड यात्रा पर इस बार रोक रहेगी। प्रदेश सरकारों को कांवड़ संघों और संत-महात्माओं से भी यही प्रस्ताव प्राप्त हुआ है।
कांवड़ यात्रा के संबंध में अभी और भी स्पष्टीकरण के लिए राजस्थान, दिल्ली और पंजाब सरकार से बातचीत कर सहमति ली जाएगी। इस साल ऐसा प्रतीत होता है कि शिवभक्त स्थानीय स्तर पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जलाभिषेक कर सकते हैं। आपको बता दें कि इस साल 6 जुलाई से कांवड़ यात्रा संचालित की जानी थी। यात्रा में करोड़ों की संख्या में कांवड़िये हरिद्वार पहुंचते हैं। हरिद्वार से गंगाजल कांवड़ में भरकर अपने यहां शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान सरकार के स्तर से कानून व्यवस्था व यातायात को लेकर कई तरह के इंतजाम करने पड़ते हैं।
हर वर्ष शिवभक्तों की भारी संख्या के चलते हरिद्वार को बंद करना पड़ता है। सबसे अधिक कांवड़िये उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आते हैं। इसी के तहत उत्तराखंड के मंत्रिमंडल ने यह निर्णय लिया था कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वार्ता की जाए। बात-चीत के दौरान तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोरोना संक्रमण फैलने को लेकर आशंका जताई।महामारी की गाइडलाइन के अनुसार भारी भीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थता जताई गई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में फैसला लिया गया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है कि लोगों को बड़ी संख्या में एकत्र होने से रोका जाए। इसलिए इस वर्ष कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी गयी है |
ईश्वर यह नहीं चाहता की उसके लिए भक्त अपने और दूसरों के प्राणों का दुश्मन बन जाए | कांवड़ यात्रा के रुक जाने से भले ही शिवभक्त नाराज़ होंगे लेकिन उनकों समझना होगा कि इस समय सबसे बड़ा धर्म खुद को और दूसरों को कोरोना से बचाने में ही है ।
Written By Om Sethi
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