रेमंड ग्रुप के संस्थापक विजयपत सिंघानिया इन दिनों अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं।अगर लोगो की मानी जाए तो लोग अपने जीते जी संपत्ति अपने बच्चो की नाम कर दे जी बाद में मुश्किल ने बच्चो को काम आए,लेकिन विजयपत सिंघानिया का कहना है कि कभी भी जीते जी अपने बच्चों को संपत्ति नहीं देना चाहिए।
साथ ही इतना ही नहीं बल्कि सिंघानिया का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में सबसे बड़े सबक सीखे हैं। बता दे की रेमंड समूह के पूर्व चेयरमैन ने अपनी आत्मकथा ‘एन इनकंप्लीट लाइफ’ लॉन्च की है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी कई सारी बातों का खुलासा किया हैं।
विजयपत सिंघानिया ने परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति को लेकर हुई अनबन के बारे में भी खुलासा किया है। इसके अलावा उन्होंने अपने बचपन के दिनों से जुड़ी बातें को भी बताया।
विजयपत सिंघानिया ने कहा कि, “अनुभव से मैंने सबसे बड़ा सबक सीखा वह यह है कि अपने जीवित रहते अपनी संपत्ति को बच्चों को देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आपकी संपत्ति आपके बच्चों को मिलनी चाहिए लेकिन ये आपकी मौत के बाद ही देनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि किसी माता-पिता को वो झेलना पड़े जिससे मैं हर दिन गुजरता हूं।”
साथ ही इसके अलावा भी विजयपत सिंघानिया ने खुलासा करते हुए कहा कि, “मुझे मेरे कार्यालय जाने से रोक दिया गया जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज पड़े हुए हैं और अन्य सामान जो कि मेरा है। इतना ही नहीं बल्कि मुंबई और लंदन में मुझे अपनी कार छोड़नी पड़ी और मैं अपने सचिव से भी संपर्क नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि रेमंड के कर्मचारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं कि वह मुझसे बात नहीं करें और मेरे कार्यालय में ना आए।”
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, देश के सबसे बड़े उद्योगपति में शुमार विजयपत सिंघानिया कभी 12 हजार करोड रुपए की कंपनी रेमंड के मालिक हुआ करते थे। लेकिन आज ऐसा समय आ चुका है कि सिंघानिया पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए हैं एक समय पर विजयपत सिंघानिया का बोलबाला था और वह मुकेश अंबानी के एंटीलिया आलीशान घर से भी ज्यादा ऊंचे मकान ‘जेके हाउस’ में रहा करते थे।
लेकिन अब कहा जा रहा है कि विजयपत सिंघानिया से उनके बेटे ने गाड़ी और ड्राइवर तक भी छीन लिया है। इन दिनों, विजयपत सिंघानिया दक्षिण मुंबई में किराए के कमरे में रह रहे हैं।
साल 2015 में विजयपत सिंघानिया ने अपने कंपनी के सारे शेयर बेटे गौतम सिंघानिया को दे दिए थे। लेकिन बेटे के नाम संपत्ति होते ही उसने सारी संपत्ति हड़प ली और पिता आज दर दर की ठोकर खाने पर मजबूर है। बता दें, साल 1925 में विजयपत सिंघानिया ने रेमंड कंपनी की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 1958 में उन्होंने इसका पहला रिटेल शोरूम मुंबई में खोला था।
इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इस कंपनी को बड़े मुकाम तक पहुंचाया। ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेश में भी रेमंड कंपनी के शोरूम भी खोले गए। साथ ही बता दें, साल 2006 में विजयपत सिंघानिया को भारत सरकार की ओर से पद्मा भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
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