भारत सरकार ने किन्नर समाज को कई अधिकार दिए है और उनके उत्थान के लिए भी अनेक कार्य किये है किन्नर हमारे समाज का एक अभिन्न अंग है। इसे थर्ड जेंडर का दर्जा प्राप्त है। खुशी के समय किन्नर लोगों के घरों में जाकर पैसे मांगते है, शादी विवाह में नाचते है। लेकिन मोहिनी किन्नर इसके बिलकुल उलट हैं। वह अपनी कमाई करने पर यकीन रखती है। उनका ज्यादातर समय मुर्गियों को दाना देने में व्यतीत होता है।
आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ाते हुए मोहिनी ने पिछले साल कड़कनाथ मुर्गी फार्म चालू किया था। उनका प्रयास है कि उनका ये काम सफल हो, जिससे किन्नर समाज के अन्य लोग भी ऐसे ही किसी व्यवसाय का रुख ले।
रोजगार के लिए जुटाई जानकारी
मोहिनी ने अपने रोजगार के लिए बहुत जानकारी जुटाई। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR) के द्वारा विकसित सहभागिता संस्था की सहायता से मोहिनी ने मलिहाबाद में अपनी आजीविका के लिए मुर्गी पालन व्यवसाय को शुरू किया।
मलिहाबाद के आम के बागों में मुर्गी पालन को व्यवसायिक बनाने के लिए केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रयासों के फल स्वरूप कई भूमिहीन और जरुरतमंद किसानों ने आम के बागों के बीच में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित कारी निर्भीक, कारी देवेंद्र, कारी शील और कड़कनाथ मुर्गों को पालना शुरू किया। किन्नरों को कई जगह इग्नोर किया जाता है। उनके साथ दुर्व्यवहार भी होता है।
मोहिनी ने शुरू किया खुद का व्यवसाय
सरकार द्वारा चलाई जा रही मुर्गी पालन योजना से सीख लेकर किन्नर मोहिनी ने परंपरा से परे हटकर अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने फार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़कर अपना कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म खोलने का फैसला किया। इसके बाद सहभागिता स्वयं सहायता समूह, मलिहाबाद से इसके बारे में ट्रेनिंग हासिल की।
जिसमें इनको कम खर्चे में फेंसिंग बनाना, दाना बनाना और मुर्गियों को बीमारियों से बचाने की टिप्स दी गई फिर ट्रेनिंग लेने के बाद मोहिनी ने आर्यन बागवान पोल्ट्री फार्म, माल मलिहाबाद से मुर्गों की एक किस्म के 500 कड़कनाथ चूजे खरीदे और अपने व्यवसाय शुरुआत की।
अन्य किन्नरों को भी आत्मनिर्भर बनने की दी सलाह
मोहिनी ने बताया कि लैंगिक भेदभाव के कारण हम लोगों को कोई जल्दी न तो नौकरी देता है और न ही बैंक स्वरोजगार के लिए लोन देना चाहती है। ऐसे में बेरोजगार होने से अच्छा किन्नर समाज का मुख्य पेशा शादी या बच्चा होने पर घर-घर जाकर बधाई देना, नाचना और ईनाम लेना बन गया है। उन्होंने किन्नरों को अपनी राय दी है कि वह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करके आत्मनिर्भर बनें।
मुर्गी पालन के कई फायदे हैं
इन सभी मुर्गियों को पालना और खिलाना आसान है। यह रोग से भी बची रहती है। एक समय में बाद बाज़ार में भी इनका अच्छा भाव मिल जाता है। मार्केट में भी इनकी भारी डिमांड बनी रहती है। मुर्गी पालन फायदे का व्यवसाय है, इसे कोई भी कर सकता है और इसे शुरू करने में लागत भी कम आती है।
आपको बता दें कि आम बागवानों की आय बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से मलिहाबाद प्रखंड के तीन गांव में फार्मर फर्स्ट परियोजना चलाई जा रही है, जिसके तहत आम बागवानों को बागो में पाले जानी वाली मुर्गी की नस्ल जैसे कैरी निर्भीक, कै देवेन्द्र, अशील, कड़कनाथ उपलब्ध करवाई जा रही है।
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