फरीदाबाद : 11 अप्रैल को निदेशक, सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा, चेन्नई के कार्यालय द्वारा जारी किए गए डब्लयू एच ओ के दिशानिर्देशों के आधार पर मिले पत्र से इस बात का खुलासा हुआ है कि सैंटिजेशन मशीनें लोगों के मन में रोगमुक्त करने की झूठी भावना पैदा करता है।
रिपोर्ट के अनु सार यह सुरंगें सुरक्षा की झूठी भावना पैदा कर लोगों को हैंडवॉश से कीटाणुशोधन सुरंग की ओर मोड़ने में अहम भूमिका अदा करती हैं।
वैसे तो कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने हेतु फरीदाबाद के सार्वजनिक स्थानों सैक्टर -12 लघु सचिवालय, नागरिक अस्पताल, डबुआ मंडी से लेकर ई एस आई अस्पताल में चार बॉडी सैनिटाइजिंग मशीनें लगाई जा चुकी है। पर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी एडवाइजरी के बाद ऐसी और मशीनों को लगाने पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है।
रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि यह मशीनें मनुष्य पर अल्कोहल, क्लोरीन या लिसोल का छिड़काव न केवल हानिकारक है, बल्कि “अप्रभावी,” भी है जो विभिन्न राज्यों में सभी उप निदेशकों, स्वास्थ्य सेवाओं और अधीनस्थ अधिकारियों को जारी संचार कहता है।
इस सूचना के संज्ञान में आने के उपरांत डीसी यशपाल यादव ने कहा कि अब उनके विभाग द्वारा लोगों में फैस मास्क और सैनटाइजर के प्रयोग करने पर बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाएगा। जिससे लोगों में स्वछता का ध्यान रखने के साथ साथ कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सके।
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