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दिलचस्प है यह दास्तां, हरियाणा के इस गांव में 100 से ज्यादा बहुएं हैं दूसरे राज्यों से

कम लिंगानुपात की समस्या हरियाणा में हमेशा से रही है यहां एक हजार पुरुष पर करीब केवल 800 स्त्रियां ही हैं। इस वजह से प्रदेश के कई पुरुषों को ने राज्यों में विवाह करना पड़ता है। हरियाणा के हिसार जिले में अग्रोहा के पास स्थित एक ऐसा गांव है जहां 100 से अधिक परिवारों में अन्य राज्यों से बहुएं लाई गई है जो मुख्यतः असम, छत्तीसगढ़, बिहार व झारखंड से ताल्लुक रखती हैं क्योंकि जब इनकी शादी हुई तो वह कोई इच्छा से नहीं बल्कि हरियाणा के लड़कों को अपने प्रदेश में लड़की न मिलने के कारण हुई थी क्योंकि कम लिंगानुपात के चलते प्रदेश में लड़कियों की संख्या जरूरत से काफी कम है।

वहीं अगर परिवार आर्थिक रूप से अधिक सशक्त नहीं है तो ऐसे में वर्तमान समय में रिश्ता होना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए गांव व परिवार के लोगों ने निर्णय लिया कि अन्य राज्य से बहू लाकर बच्चों का घर बसाया जाए।

दिलचस्प है यह दास्तां, हरियाणा के इस गांव में 100 से ज्यादा बहुएं हैं दूसरे राज्यों से

कुलेरी गांव में लगभग 1800 परिवार हैं जिनमें 100 परिवारों से अधिक में अन्य राज्यों से बहुएं लाई गई हैं। वहां की सरपंच मनीषा निठारवाल का कहना है कि करीब 15 साल पहले जब एक परिवार में दूसरे राज्य से बहू लाई गई और धीरे-धीरे जब वह यहां की संस्कृति में पूरी तरह से ढाल गई तो अन्य लोगों ने भी इसके बारे में विचार किया एवं अपने बेटों की शादी अन्य राज्यों में करने का फैसला लिया।

घर के सभी कार्यों में बहुएं हो गईं निपुण

एक ही परिवार के रमेश, बलजीत व बलवान की शादी असम के गुवाहाटी में हुई है। इनकी पत्नियां सोनु, पिंकू व गीतु ने घर के सभी काम व जिम्मेदारियां बखूबी संभाल रहीं हैं। जिनमें से एक खाना पकाती है दूसरी घर की साफ-सफाई जबकि तीसरी भैंसों से सम्बंधित सभी कार्य करती है। गांव के ही बीरबल भाकर के यहां उनके चार में से दो बेटों की शादी बिहार के बक्सर जिले में हुई है।

उम्र निकलने का सता रहा था डर

वैसे तो इनकी इच्छा प्रदेश से ही बहु लाने की थी लेकिन जब इन्हें उम्र निकलने का डर सताने लगा तो बेटे की शादी दूसरे राज्य में करने के बारे में सोचा। जब बेटे संदीप की शादी वहां की तो दूसरी बहु भी वहीं से लाये। अब दोनों बहुएं खेतों के काम से लेकर, चूल्हे पर रोटी बनाना व घर का सारा काम करती हैं।

आत्मनिर्भर हैं बहुएं

साथ ही कुछ अन्य परिवारों की बहुओं ने भी सिलाई सेंटर, ब्यूटीपार्लर जैसे अपने काम भी शुरू कर रखे हैं जिससे वे आत्मनिर्भर बनी हुई हैं। ऐसे में प्रदेश में आकर यहां की संस्कृति को इतने अच्छे से स्वीकार करके ये बहुएं अन्य गृहणियों के लिए भी मिसाल हैं।

बशर्ते इन्हें परिवार द्वारा वह प्यार और मान–सम्मान मिलना चाहिए जो यहां की बहुओं को मिलता है। कई बार यह भी देखने को मिला है जब इनके साथ घरेलू हिंसा व अन्य तरीकों से दुर्व्यवहार किया जाता है जो प्रदेश की छवि खराब करने के साथ इनकी जिंदगी को भी नर्क बना देता है।

Avinash Kumar Singh

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