सरकारी कामों में लापरवाही के उदाहरण आए दिन हमारे सामने आते रहते हैं। ऐसा लगता है कि टेंडर पास होने के बाद संबंधित अधिकारी सारी जिम्मेदारी ठेकेदार को सौंप देते हैं। ठेकेदार द्वारा किए गए काम का अधिकारी निरीक्षण भी नहीं करते कि मौके पर क्या हाल है। कार्यालय में बैठकर केवल उसके काम का बिल पास कर दिया जाता है। ऐसी ही लापरवाही ग्रेटर फरीदाबाद में मास्टर रोड बनाने में हुई है। सड़क बनने के बाद अधिकारियों ने उसका निरीक्षण भी नहीं किया।
बेहतर कनेक्टिविटी के लिए करीब दो महीने पहले सेक्टर 72-73 को बांटने वाली रोड की बल्लभगढ़-तिगांव मुख्य मार्ग तक मास्टर रोड भी बनाई गई थी। रोड के बीच में स्ट्रीट लाइटें भी लगाई गई हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि जिस दिन से इस रोड पर लाइटें लगी हैं एक बार भी जली नहीं हैं। 14 रोड पर अंधेरा रहता है। इसके दोनों तरफ तीन–तीन लेन का मार्ग है। इस मास्टर रोड के एक तरफ नीमका जेल है तो दूसरी तरफ नीमका गांव। यह छः लेन मार्ग सेक्टर 72–73 की डिविडिंग रोड है।
आपको बता दें कि यह छः लेन रोड करीब 900 मीटर लंबा है। इसके निर्माण पर लगभग नौ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। ग्रेटर फरीदाबाद की सोसायटी की बल्लभगढ़-तिगांव मार्ग से सीधी कनेक्टिविटी होने से हजारों वाहन चालकों को राहत तो मिली है, लेकिन अंधेरे की वजह से दिक्कत भी है।
अब बल्लभगढ़-तिगांव मार्ग से भी सीधे ग्रेटर फरीदाबाद आना-जाना आसान हो गया है। यहां से वाहन चालक सेक्टर-8 गुरुग्राम और आगरा नहर पर बने पुल के माध्यम से सीधे बाईपास पर आ-जा रहे हैं।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता अश्विनी गौड़ का कहना है कि इस मामले की जानकारी मिल गई है। सभी लाइटों को चेक कराया जाएगा और जल्दी ही ये लाइटें जलना शुरू हो जाएंगी।
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