महामारी का असर अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि देश में फंगस के एक नए और खतरनाक स्ट्रेन की पहचान हुई है। ज्यादातर मामलों में महामारी से संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद यह फंगस शरीर में फैलता है। देशभर में जब ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। तब इन्फेक्शन का शिकार हुए कई मरीजों की आंखें तक निकालनी पड़ी थीं। दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में फंगस के एक नए स्ट्रेन की पहचान हुई है। एस्परगिलस लेंटुलस नाम के इस फंगस ने AIIMS के डॉक्टरों को भी हैरत में डाल दिया है क्योंकि देश में पहली बार इसे डिटेक्ट किया गया है। यह फंगस हर दवा के असर को पूरी तरह बेअसर कर देता है। दिल्ली AIIMS में इससे जूझ रहे 2 मरीजों की हाल ही में मौत हुई है।
दोनों मरीजों को फेफड़े से संबंधित एक बीमारी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव प्लमोनरी डिजीज (COPD) की परेशानी के बाद भर्ती किया गया था। जिसमें शरीर के अंदर जाने वाली हवा का फ्लो कम हो जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी का संक्रमण होने के बाद मरीज की मौत की आशंका काफी बढ़ जाती है।
2005 में आया था पहला केस
दुनिया में एस्परगिलस लेंटुलस का पहला केस 2005 में सामने आया था। इसके बाद कई देशों के डॉक्टर्स ने अपने यहां के मरीजों में इसके होने की पुष्टि की थी। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (IJMM) में पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली AIIMS में दम तोड़ने वाले दोनों मरीजों की उम्र 40 से 60 वर्ष थी।
एक महीने तक चले इलाज के बाद मौत
संक्रमण कम होने के बाद पहले मरीज को प्राइवेट अस्पताल ने AIIMS रेफर किया था। AIIMS में उन्हें एम्फोटेरिसिन बी और ओरल वोरिकोनाजोल नामक एंटी फंगल दवाई दी गई। एक महीने तक चले इलाज के बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
मल्टी ऑर्गन फेलियर के बाद मौत
दूसरे मरीज को तेज बुखार, कफ और सांस लेने में तकलीफ होने पर AIIMS के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। पहले मरीज की तरह दूसरे का इलाज भी एम्फोटेरिसिन बी एंटी फंगल दवा से किया गया। एक हफ्ते तक चले इलाज के बाद मरीज के लगभग सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद AIIMS के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट और पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने IJMM जनरल में अपनी रिसर्च पब्लिश की।
महामारी से संक्रमित मरीजों है ज्यादा खतरा
महामारी के संक्रमण से उबरने वाले कई मरीज फंगल इन्फेक्शन का शिकार हो जाते हैं। ये ज्यादातर उन लोगों को होता है, जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो कोई ऐसी दवाई ले रहे हों, जो बॉडी की इम्यूनिटी को कम करती हो या शरीर की दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हो। ये इन्फेक्शन शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
शरीर पर फंगस का असर
यह फंगस वातावरण में ही मौजूद रहता है और ज्यादातर सांस के जरिए हमारे शरीर में पहुंचते हैं। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है, शरीर कहीं जल गया है या कहीं कट गया है तो वहां से भी यह शरीर में इन्फेक्शन फैला सकता है। शुरुआती दौर में ही अगर इसे डिटेक्ट नहीं किया जाता तो इंसान की जान भी जा सकती है।
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