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Driverless Metro: दिल्ली में चालक रहित मेट्रो भर रही रफ्तार, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क

देश में मेट्रो के आने से लोगों को बहुत फायदा हुआ है, एक नई क्रांति आई है। समय के साथ साथ मेट्रो में भी बदलाव किया जा रहा है, इसे भी अपग्रेड किया जाता है। अब मेट्रो का संचालन बिना ड्राइवर के होगा। बीते गुरुवार मजलिस पार्क से मौजपुर के बीच मेट्रो की सबसे लंबी पिंक लाइन पर भी ड्राइवरलेस ट्रेन का ऑपरेशन शुरू हो चुका है। यह दिल्ली मेट्रो की दूसरी मेट्रो लाइन है जिस पर चालकरहित मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ है। इस रूट पर तकरीबन 60 किलोमीटर लंबी लाइन पर मेट्रो रफ्तार भर रही है।

फेज-4 में पिंक व मजेंटा लाइन के विस्तार व एरोसिटी तुगलकाबाद (सिल्वर लाइन) कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद दिल्ली में चालक रहित मेट्रो सेवा 160 किलोमीटर नेटवर्क पर उपलब्ध हो जाएगी। इसके बाद दिल्ली मेट्रो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चालक रहित मेट्रो नेटवर्क बन जाएगा।

Driverless Metro: दिल्ली में चालक रहित मेट्रो भर रही रफ्तार, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्कDriverless Metro: दिल्ली में चालक रहित मेट्रो भर रही रफ्तार, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क

बता दें कि महामारी के बीच पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 दिसंबर को मजेंटा लाइन पर बोटेनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम के बीच चालक रहित मेट्रो के परिचालन का शुभारंभ किया था। 11 महीने के भीतर ही पिंक लाइन पर चालक रहित मेट्रो का परिचालन शुरू करना DMRC की बड़ी कामयाबी है।

महामारी से पहले दिल्ली मेट्रो में प्रतिदिन करीब 65 लाख यात्री सफर कर रहे थे। लेकिन महामारी के बाद कई तरह के प्रतिबंधों के कारण यात्रियों की संख्या में कमी आ गई थी। लेकिन अब 100 फीसद बैठने की क्षमता के साथ-साथ मेट्रो कोच में खड़े होकर यात्रियों के सफर करने की स्वीकृति से यात्रियों की संख्या बढ़ेगी।

ड्राइवरलेस मेट्रो के फायदे

  • जरूरत पड़ने पर यह तकनीक मेट्रो की फ्रिक्वेंसी बढ़ाने में भी मददगार है।
  • डेढ़ मिनट के अंतराल पर मेट्रो का परिचालन होगा संभव।
  • मानवीय गलतियों के कारण परिचालन नहीं होगा प्रभावित।
  • परिचालन में ज्यादा सुरक्षित है यह तकनीक।
  • सुबह ट्रेनों को परिचालन के लिए ट्रैक पर लाने से पहले मैन्युअली चेकिंग की जरूरत नहीं।
  • परिचालन के बाद मेट्रो ट्रेनें डिपो में स्टेबलिंग लाइन पर पार्किंग भी अपने आप हो जाएंगी।
  • आवागमन के लिए मेट्रो का इस्तेमाल बचा सकता है पांच फीसद ईंधन।

पूरे देश में मेट्रो का जाल बिछाने के लिए 16 शहरों में 1046 किलोमीटर नेटवर्क के निर्माण का काम चल रहा है और छः परियोजनाओं पर अभी विचार ही किया जा रहा है। केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाकर मजलिस पार्क से पहली ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन को रवाना किया।

केंद्रीय आवान एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव और डीएमआरसी के चेयरमैन दुर्गाशंकर मिश्रा के साथ डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मंगू सिंह सहित डीएमआरसी के कई अन्य सीनियर अधिकारी और कर्मचारी भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल तरीके से शामिल हुए। करीब 59 किमी लंबी इस पिंक लाइन पर यह ऑपरेशन शुरू होने के साथ दिल्ली मेट्रो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इस तरह का नेटवर्क बन गया है जिसमें ट्रेनों को ऑटोमैटिक तरीके से चलाया जाता है।

हरदीप पुरी ने कहा कि अभी हम विश्व में चौथे स्थान पर हैं। लेकिन क्वालालंपुर, जो कि तीसरे स्थान पर है, उनका ड्राइवरलेस मेट्रो नेटवर्क दिल्ली मेट्रो के नेटवर्क से केवल आधा किमी ही ज्यादा है। भारत में जिस तेजी से इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा उसे देखते हुए लगता है कि जल्द ही भारत इस मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच जाएंगा।

उन्होंने आगे कहा कि उनके पास पेट्रोलिंग और नेचुरल गैस मंत्रालय भी है और यह देखकर बहुत खुशी होती है कि लोग अपनी निजी गाड़ियां छोड़कर मेट्रो से सफर करने लगे हैं। साथ ही पेट्रोल–डीजल की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए कहा कि तेल उत्पादक कंपनियां आर्टिफिशल तरीके से तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों को तय करती हैं, जिसका असर पूरी दुनिया में पड़ रहा है, लेकिन मेट्रो और वॉक वेज के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर और अन्य इनोवेटिव तरीकों से ईंधन की खपत को 3 से 5 प्रतिशत तक कम करने में सफलता हासिल की है।

कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से पैदा हुई चुनौतियों को भी अच्छी तरह से मैनेज किया है। इससे यात्री सुरक्षा में इजाफा होने के साथ–साथ इनके चलने से मेट्रो के स्टाफ का मानसिक दबाव भी कम होगा। खासकर ट्रेन ऑपरेटरों को तड़के 3-4 बजे से ट्रेनें लेने के लिए डिपो में नहीं जाना पड़ेगा और सर्विस खत्म होने के बाद भी ट्रेन को डिपो में ले जाने के लिए देर रात को 1-2 बजे तक नहीं रुकना पड़ेगा। ऑफ पीक ऑवर्स (off peak hours) की अतिरिक्त ड्यूटी से भी राहत मिलेगी। इन ट्रेनों के जरिए जरूरत पड़ने पर केवल 90 सेकंड की फ्रीक्वेंसी पर भी मेट्रो सेवा प्रदान की जा सकती है।

कैलाश गहलोत ने कहा कि डीएमआरसी के इतिहास में यह एक नया मील का पत्थर साबित हो रहा है। ड्राइवरलेस ट्रेनों के परिचालन में मानवीय भूल की आशंका बिल्कुल नहीं होती है, क्योंकि पूरी ट्रेन ऑपरेशन सॉफ्टवेयर के जरिए ऑटोमैटिक तरीके से संचालित होती है। इससे DMRC अपने यात्रियों को और बेहतर मेट्रो सेवाएं उपलब्ध करा सकेगी।

दुर्गाशंकर मिश्रा ने बताया कि विश्वस्तरीय तकनीक पर आधारित पारंपरिक परिचालन के तौर तरीके से अधिक विश्वसनीय और उन्नत होने के साथ–साथ यह ट्रेनें पूरी तरह भारत में ही विकसित की गई हैं।

मंगू सिंह ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेट्रो की मजेंटा लाइन पर देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी और अब एक साल से भी कम समय में डीएमआरसी ने पिंक लाइन पर भी इस सिस्टम को लागू करने में सफलता हासिल की है। यह केवल दिल्ली मेट्रो के लिए ही नहीं बल्कि देश की सभी मेट्रो के लिए गर्व और सम्मान की बात है।

उन्होंने कहा कि महामारी की तमाम बाधाओं के बीच दिल्ली मेट्रो के सभी साथियों और इस काम में शामिल अन्य एजेंसियों के लोगों ने जिस तरह से लगातार काम करके इस सेक्शन पर ड्राइवरलेस सेवाओं को उपलब्ध कराया है वह अपने आप में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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