Categories: Uncategorized

28 रुपए का उधार चुकाने सात समंदर पार से यह व्यक्ति पहुंचा भारत

किसी को पैसे या कोई सामान उधार देते समय हर किसी को यह डर रहता होगा की पता नहीं ये वापिस आयेंगे या नहीं। यह सब सोचकर रातों को नींद उड़ जाती है। उधारी चुकाने के कई मामले आपने देखे होंगे मगर यह मामला सबसे अलग है। सात समंदर पार अमेरिका से एक व्यक्ति भारत केवल अपना उधार चुकाने के लिए आया। 68 साल पुराना उधार चुकता करने के लिए नौसेना सेवानिवृत्त कामोडोर बीएस उप्पल हरियाणा के हिसार में आए। हरियाणा में प्रथम नौसेना बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नौसेना सेवानिवृत्त कामोडोर बीएस उप्पल 85 वर्ष की उम्र में हरियाणा के हिसार आए हैं।

दरअसल यह बीएस उप्पल 68 वर्ष पुराने अपने 28 रुपये के उधार को चुकता करने के लिए हिसार तक पहुंचे हैं। रिटायमेंट के बाद वह अपने बेटे के साथ अमेरिका में ही रहते थे।

28 रुपए का उधार चुकाने सात समंदर पार से यह व्यक्ति पहुंचा भारत

वह हिसार के मोती बाजार स्थित दिल्ली वाला हलवाई के पास पहुंचे और दुकान के मालिक विनय बंसल को बताया कि 1954 में उनके दादा शम्भू दयाल बंसल को उन्हें 28 रुपए देने थे लेकिन किसी कारणवश उन्हें शहर से बाहर जाना पड़ गया और इसके बाद नौसेना में भर्ती हो गए। उनकी दुकान पर वह लस्सी में पेड़े डालकर पीते थे जिसके 28 रूपए देने बकाया थे।

हिसार की हमेशा दो बातें रहती थी याद

उन्होंने कहा कि फौजी सेवा के दौरान कभी भी हिसार आने का मौका नहीं मिला और रिटायर होने के बाद वह अमेरिका अपने पुत्र के पास चले गए। वहां पर उन्हें हिसार की केवल दो बातें हमेशा याद रहती थीं। एक तो दिल्ली हलवाई वाला के 28 रुपए देने थे और दूसरा अपने स्कूल हरजीराम हिन्दु हाई स्कूल में जाना। यह उधार चुकाने और अपने शिक्षण संस्थान को देखने के लिए वह शुक्रवार को विशेष रूप से हिसार आए थे।

उप्पल ने विनय बंसल के हाथ में दस हजार की राशि रखी तो उन्होंने इसे लेने से इंकार कर दिया। तब उप्पल ने आग्रह किया और कहा कि उनके सिर पर आपकी दुकान का ऋण बकाया है कृपया यह राशि स्वीकार कर लो और मुझे ऋण मुक्त कर दो। 

सिर्फ इसी काम के लिए अमेरिका से हिसार आए

उन्होंने कहा कि अमेरिका से विशेष रूप से इसी कार्य के लिए यहां आएं हैं। उनकी आयु 85 वर्ष है कृपया इस राशि को स्वीकार कर लो। तब विनय बंसल ने मुश्किल से उस राशि को स्वीकार किया इसके बाद उप्पल ने राहत की सांस ली। उसके बाद वह अपने स्कूल में गए लेकिन बंद स्कूल को देखकर निराश लौट आए।

गौरतलब है कि उप्पल उस पनडुब्बी के कमांडर थे जिसने भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के जहाज को डुबो दिया था और अपनी पनडुब्बी तथा नौसैनिकों को सुरक्षित ले आए थे। उनकी इस बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उन्हें बहादुरी के नौसेना पुरस्कार से सम्मानित भी किया था।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…

2 months ago

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…

2 months ago

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…

2 months ago

पुलिस का दुरूपयोग कर रही है भाजपा सरकार-विधायक नीरज शर्मा

आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…

2 months ago