15 जून को शहीद हुए अपने कमांडर अधिकारी संतोष यादव की शहादत के विरोध में, जिस तरह से भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों की गर्दन और रीढ़ को तोड़ा था उससे चीनी सैनिकों में खलबली मचा दी है और पीएम मोदी ने ऊपर से वास्तविक नियंत्रण क्षेत्र पर माउंटेन फोर्स को भी तैनात किया है। जो सबसे खतरनाक है, इन ट्रेंड सैनिकों को ऊंचाई वाले क्षेत्र में युद्ध का विशेष अनुभव है और बहुत कुशल है और गुरिल्ला युद्ध में भी महारथ है।
हमें जो खबर मिली है, उसके अनुसार, चीनी सैनिक अपने साथियों की टूटी हुई गर्दन और टूटी हुई रीढ़ को देखकर बहुत भयभीत हैं और जिस तरह से हमारे सैनिकों ने उनके चेहरे को कुचल दिया है इसे देखकर अब चीनी सैनिक सिफ़ारिशें कर रहे है की उनकी पोस्टिंग गलवान वैली से हटाई जाए।
हमें यह भी पता चला है कि चीनी सैनिकों में इतनी दहशत है कि वे अब गाल्वन घाटी में भी ड्यूटी करने से इंकार कर रहे हैं और चीनी सैनिकों ने भी अपने लिए बेहतर हेलमेट बनाए हैं और लोहे की पट्टियों को गले में पहनने के लिए कहा है।
एक और बात बता दें कि हमले के समय बिहार रेजिमेंट पर चीनी सैनिकों ने हमला किया था और चीनी सैनिकों की संख्या लगभग 2500 थी और दूसरी ओर, भारतीय सैनिकों की पहली टुकड़ी 100 थी और दूसरी टुकड़ी 400 थी मतलब चीन के 2500 सैनिकों के सामने केवल 500 सैनिक थे।
इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने कई चीनी सैनिकों को मार डाला और 18 चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ डाली जिसके बाद अब चीनी सैनिक अपने गले में लोहे का पट्टा लगाने की मांग कर रहे है ताकि उनकी गर्दन को कुछ न हो वहीं चीनी सैनिक अपनी रीढ़ को बचाने के लिए भी एक विशेष सूट मांग रहे है।
चीन के लोग भी सरकार से बहुत नाराज हैं और यही कारण है कि वे इस बात का विरोध कर रहे हैं कि न तो चीन ने भारत जैसे अपने सैनिकों को कोई सम्मान दिया है और न ही मारे गए चीनी सैनिकों के परिवारों को किसी भी तरह की सहायता प्रदान की । चीन ने अपनी झूठी शान के अपने मारे गए सभी सैनिकों की उपेक्षा की है।
एक तरफ पूरे सैन्य सम्मान के साथ भारत में शहीद सैनिकों का अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें भी सलामी दी गई है और पूरे देश के दिल से उनके लिए प्रार्थना की गई है। उनके परिवार को वित्तीय सहायता भी दी गई है।
साथ ही बलिदानी कर्नल संतोष बाबू की पत्नी को तेलंगाना सरकार ने डी॰सी॰ के पद पर नियुक्ति दी हैं। जिससे देश भर में तेलंगाना सरकार के इस निर्णय को सराहा जा रहा है। दूसरी ओर, चीन ने अपने मारे गए सैनिकों और उनके सभी परिवारों से पूछा भी नहीं है ताकि चीन की पोल न खुल जाए लेकिन अब यदि चीन ने सैनिकों को सम्मान नहीं दिया तो चीन के सभी सैनिक विद्रोह कर सकते हैं।
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