आपने मां बेटे को किस्से बहुत सुने होंगे कि मां ने अपनी जान पर खेलकर अपने बच्चे को बचाया, या फिर अपनी जान देकर अपने बच्चे की जान बचाई। मगर क्या कभी यह सुना है कि बुआ ने अपने भतीजे की जान बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। जी हां, मुरादाबाद से एक मामला सामने आया है, जिसमे बुआ ने अपने जान देकर अपने भतीजे को जीवनदान दिया। पूरी जानकारी के लिए खबर को अंत तक पड़े।
मुरादाबाद में कटघर थाना क्षेत्र में तीन साल का भतीजा रेलवे ट्रैक में फंस गया था। युवती ने उसे बचाने की कई बार कोशिश की लेकिन जब वह उसे बचाने में कामयाब नहीं हो पाई तो वह उसके ऊपर लेट गई। एक ही पल में ट्रेन दोनों के ऊपर से गुजर गई। इसमें बच्चे की जिंदगी तो बच गई, लेकिन युवती के शरीर के टुकड़े हो गए। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव के टुकड़ों को एकत्र कर पोस्टमार्टम कराया।
भतीजे आरव की जिंदगी बचाने वाली शशिबाला कुंदरकी थानाक्षेत्र के हुसैनपुर गांव की रहने वाली थी। युवती के पिता मेवाराम ने बताया कि आठ दिसंबर को शशिबाला की ममेरी बहन कविता पुत्री ओमप्रकाश निवासी भैंसिया की शादी थी। युवती शादी समारोह में शामिल होने के लिए अपने पिता के साथ आई थी।
सुबह विदाई होने के बाद गुरुवार शाम को वह परिवार की महिलाओं के साथ मुरादाबाद-लखनऊ रेल लाइन पार कर तालाब की ओर घूमने गई थी। जहां से लौटते समय उसके ममेरे भाई आनंद प्रकाश का तीन वर्षीय बेटा आरव पुल पर रेलवे लाइन में फंस गया था। इस दौरान मुरादाबाद की ओर तेज रफ्तार में ट्रेन हॉर्न बजाती आ रही थी। इससे पहले वहां मौजूद लोग कुछ समझते शशिबाला झट से ट्रैक पर पहुंच गई।
पहले उसने बच्चे को ट्रक से हटाने की पूरी कोशिश करी लेकिन वह अपनी कोशिशों में नाकामयाब रही। जब ट्रेन बिल्कुल नजदीक आ गई तो यह देख कर शीश वाला ट्रैक पर बच्चे के ऊपर लेट गई। दोनों के ऊपर से धड़ धड़ आती हुई ट्रेन गुजर गई। ट्रेन के गुजरते ही वहां सन्नाटा छा गया। युवती के साथ गई महिलाओं ने मौके पर जाकर देखा तो ट्रैक पर बच्चा सुरक्षित था। जबकि उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो चुके थे।
इस हादसे के बाद खुशी के माहौल वाले शादी के घर में मातम छा गया। जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और युवती के शव के टुकड़ों का पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कटघर थाना प्रभारी आरपी शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।
12 साल पहले युवती की मां की मौत हो गई थी।वह अपने पिता का एकमात्र सहारा थी। उसके पिता कुंदरकी थाना क्षेत्र के हुसैन पुर निवासी मेवाराम मजदूरी करते थे। जब उसकी मां की मौत हुई थी, उस वक्त उसकी उम्र मात्र 8 साल थी। युवती अपने पिता का इकलौता सहारा थी।
बेटी की मौत होने के बाद यह बेबस पिता पूरी तरह टूट गए हैं। उनका कहना है कि बड़ी हंसी खुशी से एक बेटी की शादी में शामिल होने जा रहा था, लेकिन यह कहां पता था कि जिस बेटी को साथ लेकर जा रहा हूं वह वापस नहीं आएगी। उनके पिता ने बताया कि वह अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में भी जुटे हुए थे। जल्द ही रिश्ता तय करने के बाद में उसकी शादी करने वाले थे।
इस हादसे के बाद बच्चा आरव भी घायल हो गया। उसके चेहरे पर पत्थर लगा है। हादसे के बाद बच्चा गुमसुम है। पिता आनंद प्रकाश ने निजी अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया है।
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