तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस ले चुकी है। किसान आंदोलन समाप्त हो गया है। एक साल से भी अधिक समय तक चला यह आंदोलन अब खत्म होने की कगार पर है। आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार के कई लोग किसानों के करीबियों से बातचीत कर रहे थे। जो लोग दिल्ली के सीमाओं पर बैठे हुए थे। अमित शाह किसी भी तरह से उन किसानों को घर वापस भेजना चाहते थे।
भाजपा के कार्यकर्त्ता से लेकर मंत्रियों तक ने काफी खेल खेला है। बिलों के निरस्त होने पर संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से भी इस पर मुहर लग चुकी है। शाह की पर्दे के पीछे से उन लोगों से बातचीत हो रही थी, जो पंजाब और हरियाणा के असली किसान हैं।
सरकार ने यह दिखाया है कि वह किसानों के साथ थी लेकिन किसान ही उसकी बात को समझ नहीं पाए। अमित शाह जाट महासभा के महासचिव युद्धवीर सिंह के माध्यम से लगातार सरकार के लोग बातचीत कर रहे थे। संयुक्त किसान मो र्चा के कई नेता भी युद्धवीर सिंह से जुड़े हुए थे। दिल्ली की सीमा पर साल भर से धरने पर बैठे किसान अब अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं।
एक साल से ज्यादा समय तक चला किसान आंदोलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े फैसले के खत्म हो गया है। लखीमपुर खीरी मामले के बाद सरकार के कई लोग उन लोगों से बातचीत कर रहे थे। जो लोग दिल्ली की सीमाओं पर बैठे थे। मात्र 1 महीने के अंदर में ही केंद्र में जारी पीएम मोदी की सरकार ने किसानों को लेकर एक निर्णय ले लिया था। अब सभी किसान खुशी-खुशी घर जा रहे हैं।
नरेंद्र मोदी ने उन लोगों की करारा झटका दिया है को किसान आंदोलन के कारण अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना चाहते थे। पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर भी रास्ता साफ होता दिख रहा है।
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