आपको बता दे, अभी लोगो को अगर कोई जरूरी सामान भेजना होता है, तो उनके लिए केंद्र सरकार एक तकनीक लेके आया है। जिससे आपका समान सुरक्षित और जल्दी पहुंच जाएगा। यह तकनीक पर्यावरण को भी बहुत कम नुकसान पहुंचेगी। अब आप जानना चाहते होंगे आखिर यह तकनीक कौन सी है। जानने के लिए खबर को अंत तक पड़े।
आपको बता दे, इस तकनीक का नाम हाइपरलूप है, जिससे दुनिया में कहीं भी लोगों या वस्तुओं को तीव्रता के साथ सुरक्षित रुप से स्थानांतरित किया जा सकेगा। अगर भारत में हाइपरलूप तकनीक आती है, तो परिवहन के क्षेत्र में लम्बी दूरी को कुछ ही घंटो में तय किया जा सकेगा।
हाल ही में, हाइपर लूप तकनीक को लेकर नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने कहा है कि “भारत में अल्ट्रा-हाई-स्पीड यात्रा के लिए हाइपरलूप तकनीक अपने डिजाइन के साथ आने की क्षमता रखता है।”
जानकारी के मुताबिक, सारस्वत ने यह भी कहा कि “सुरक्षा और नियामक तंत्र स्थापित किए जाने चाहिए क्योंकि हाइपरलूप तकनीक में सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि “विशेषज्ञ समिति ने कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।”
आपको बता दे, हाइपर लूप तकनीक परिवहन के क्षेत्र में बेहद क्रांतिकारी साबित हो सकती है। हाइपरलूप तकनीक स्टील के एक बड़े ट्यूब में हवा के दबाव के अनुसार चलता है और इसके जरिए ही लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। सामान्य भाषा में इसे एक चुम्बकीय ट्रैक के रूप में भी समझा जा सकता है।
अर्धचालकों की कमी के कारण उत्पादन में होने वाली परेशानी के सवाल पर सारस्वत ने कहा कि “सरकार देश में स्वदेशी सेमीकंडक्टर फाउंड्री स्थापित करने की गंभीरता से योजना बना रही है, पर जहां तक सेमीकंडक्टर्स का संबंध है, सरकार सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए एक बहुत मजबूत तंत्र स्थापित करने के बारे में गंभीरता से सोच रही है।”
बता दें कि हाइपरलूप तकनीक टेस्ला मोटर्स के CEO एलन मस्क की देन है, जो भविष्य में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। इसके जरिए हजारों किलोमीटर का सफ़र बेहद कम समय में पूरा किया जा सकता है, जिसमें यात्रियों की सहूलियत का भी खास ख्याल रखा जाता है।
बता दे, वर्जिन हाइपरलूप टेस्ट रन 9 नवंबर, 2020 को अमेरिका के लास वेगास में 500 मीटर के ट्रैक पर पॉड के साथ आयोजित किया गया था, जिसमें 100 मील प्रति घंटे या 161 किमी प्रति घंटे की अधिक गति से एक बंद पड़े ट्यूब के अंदर एक भारतीय सहित कई यात्रियों ने यात्रा की थी।
गौरतलब है कि भारत में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस हाइपरलूप प्रोजेक्ट को पूरा करने में जुटे हुए थे। उन्होंने मुंबई से पुणे के बीच घंटों के समय को मिनटों में तय करने के लिए हाइपरलूप प्रोजेक्ट को सहमति देने की तैयारियां भी कर लीं थी और अध्ययन के बाद ये माना जा रहा था कि साल 2024 तक ये प्रोजेक्ट खत्म हो जाएगा।
लेकिन देश में कई बड़े प्रोजेक्ट्स की तरह ही सरकार बदलने के बाद राजनीतिक एजेंडे के कारण नए मुख्यमंत्री ने इस पूरे प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
हालांकि, वर्तमान में, वर्जिन हाइपरलूप सहित कई फर्मों द्वारा हाई-टेक ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किया जा रहा है।
जिसमें दुबई स्थित पोर्ट ऑपरेटर डीपी वर्ल्ड के पास बहुमत है। हाई स्पीड मास ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम- हाइपरलूप को एक सीलबंद ट्यूब या कम वायु दाब वाली ट्यूबों की प्रणाली के रूप में वर्णित किया जाता है, जिसके माध्यम से एक पॉड वायु प्रतिरोध या घर्षण से मुक्त यात्रा कर सकता है।
पिछले साल, नवंबर के महीने में, फर्म ने पहली बार हाइपरलूप पॉड में मानव यात्रा का परीक्षण किया था। वहीं, इससे पहले फरवरी 2018 में, वर्जिन हाइपरलूप वन के अध्यक्ष रिचर्ड ब्रैनसन ने महाराष्ट्र राज्य में पुणे और नवी मुंबई के बीच एक हाइपरलूप परिवहन प्रणाली शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।
आपको बता दे, ऐसे में, भारत सरकार इस अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि इस तकनीक से न केवल परिवहन क्षेत्र को अपितु भारत को भी अधिक फायदा होगा।
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