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जब किसान के रूप में रपट लिखाने थाने पहुंचे थे चौधरी चरण सिंह, तो पूरे थाने को होना पड़ा था सस्पेंड

प्रधानमंत्री तो प्रदेश में कोई ना कोई होता ही है। मगर कोई ऐसे होते हैं जिनकी छवि हमेशा मन में रह जाती है। ऐसे ही एक प्रधानमंत्री के बारे में हम आपको आज बताने वाले है। आज हम आपको हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जिंदगी के बारे में बताने वाले हैं। अभी उनकी 119 वी जयंती थी। और पूरे उत्तर प्रदेश यह दिन किसान दिवस के रूप में मनाता है। उनकी जिंदगी से जुड़े कई किस्से आपने कभी सुनी नहीं होंगे जो हम आपको आज बताने वाले हैं।

आपको बता दें आपको बता दें चौधरी साहब का जन्म 23 दिसंबर 1902  को मेरठ जिले के बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव में हुआ था। और उनके पिताजी का नाम पिता चौधरी मीर सिंह था और  उन्होंने अपनी सारी वसीयत अपने बेटे चरण सिंह को दे दी थी।

जब किसान के रूप में रपट लिखाने थाने पहुंचे थे चौधरी चरण सिंह, तो पूरे थाने को होना पड़ा था सस्पेंड

आपको बता दे की जब 1929 में आज़ादी की लड़ाई हुई थी, तब वो भी उस लड़ाई में शामिल हुआ थे। उसकी वजह से साल 1940 में वो जेल में भी गए थे। उसके बाद में चौधरी साहब 1952 में कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री बना गए थे। 3 अप्रैल 1967 को चौधरी साहब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

उसके बाद में मध्यावधि चुनाव हुआ थे। जिसमे उनको अच्छी सफलता हासिल हुई थी। 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बना गए थे। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की।  28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।

उसके बाद में चौधरी साहब कानून व्यवस्था हाल पता करने के लिए वो किसान के रूप में कुर्ता और धोती पहनकर रपट लिखाने के लिए गए थे। जहा पर उन्होंने दरोगा से बैल चोरी रिपोर्ट लिखने को कहा। लेकिन सिपाही ने उन्हें इंतजार करने को कहा।

कुछ देर तक इंतजार करने के बाद फिर किसान (चौधरी चरण सिंह) ने रपट लिखने की गुहार की, सिपाही ने फिर भी उनकी बात नहीं सुनी । हालांकि, कुछ देर बाद सिपाही ने आकर कहा, ‘चलो छोटे दरोगा जी बुला रहे हैं।’

उसके बाद में दरोगा ने पुलिसिया अंदाज में आड़े-टेढ़े सवाल भी पूछे थे। उनसे बिना रपट लिखे किसान को डांट-डपटकर थाने से चलता कर दिया। जब वो वापस जा रहे थे, तब सिपाही ने उनसे खर्चा-पानी मांगा।

उसके बाद में उन्होंने उस सिपाही 35 रुपए दिए और उनकी रिपोर्ट लिखा और सिपाही ने उनसे कहा की बाबा अंगूठा लगाओगे या हस्ताक्षर करोगे? मगर उन्होंने बोला की में हस्ताक्षर करुगा हस्ताक्षर में नाम लिखा, चौधरी चरण सिंह और मैले कुर्ते की जेब से मुहर निकाल कर कागज पर ठोंक दी।

उसके ऊपर लिखा था , ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया’। ये देख कर वह पर सबकी हलात खरब हो गई थी उसके बाद उन्होंने वह के सभी ऑफिसर्स को सस्पेंड कर दिया था

Avinash Kumar Singh

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