हर किसी को कुछ न कुछ करना काफी पसंद होता है। लोग अपने-अपने हिसाब से काम किया करते हैं। लेकिन आपने सोचा कि क्या वजह हो सकती है कि कोई व्यक्ति जासूस बनने की सोचे? जासूस बनने में रोमांच तो है लेकिन जोखिम भी बहुत है, और अगर प्रफेशनली अपना लिया जाए तो खांडे की धार पर चलने जैसा है।
इस काम खतरा बहुत है। एकदम चालाकी से इस काम को करना होता है। जासूसी के तरीकों के वैध-अवैध होने का खतरा और आशंकाएं तो हैं ही, जान पर भी तो बन आती होगी।
हर व्यक्ति की कोई न कोई कहानी होती है। कहानियां सबकी अलग होती हैं। जासूसी के खतरों को हम भांप तो सकते हैं मगर आंक नहीं सकते। आखिर फिर क्यों इस लेडी डिटेक्टिव ने रजनी इंवेस्टर्स के नाम से अपनी डिटेक्टिव एजेंसी शुरू की। कारोबार ही करना था तो यही क्यों पैरों पर खड़ा होना था तो कोई सुरक्षित नौकरी क्यों नहीं की। भारत की पहली महिला जासूस कही जाने वाली रजनी पंडित को किसी पहचान की मोहताज नहीं है।
उनका सुनकर बड़े से बड़ा अपराधी भी थर-थर कांपता है। उनका नाम हर किसी के जहन में है। रजनी पंडित भारत की लेडी जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में जन्मीं और पली-बढ़ीं रजनी पंडित तो कहती हैं, ‘कभी सोचा ही नहीं था कि डिटेक्टिव बनूंगी। आम लोगों की तरह नौकरी करके ठीक- ठाक कमाऊं. घर चलाऊं। जैसे सभी करते हैं। बस यही चाहती थी। पढ़ाई में भी कोई खास नहीं थी। जासूसी का आइडिया था, किसी फंतासी की उपज नहीं था।
आप कोई भी काम कर सकते हैं अगर लगन से करें तो। हर जासूस की ज़िंदगी में कोई न कोई कठिन केस जरूर होता है। रजनी के जीवन का सबसे कठिन केस एक हत्या की गुत्थी को सुलझाना था। शहर में एक पिता और उसके पुत्र दोनों की हत्या हो गई थी मगर कातिल का कोई सुराग नहीं मिला था।
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