आपको बता दे, देश की राजधानी दिल्ली से 100 किलोमीटर से भी कम दूरी पर हरियाणा के रोहतक जिले में महम शहर पड़ता है। अब आप यह सोच रहे होंगे आज हम आपको यह सब क्यों बता रहे है। आपको बता दे, यह हम इसलिए बता रहे है क्योंकि यहां एक बहुत ही बड़ी गुफा है। जिसमें एक बार पूरी बारात समा गई थी। चौंक गए ना यह सुनकर। तो आइए जानते है क्या है पूरी खबर।
आपको बता दें कि महम की बावड़ी जो ज्ञानी चोर की गुफा के नाम से भी मशहूर है । इस बावड़ी के एक पत्थर पर फारसी भाषा में कुछ लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है स्वर्ग का झरना। बता दें कि बावड़ी में लिखे फारसी भाषा के एक अभिलेख के अनुसार इस स्वर्ग के झरने का निर्माण मुग़ल बादशाह के सूबेदार सैद्यु कलाल ने 1658-59 ईस्वी में करवाया था।
आपको बता दे, यह मुगल काल में बनी बावड़ी यादों से ज्यादा रहस्यमई किस्से और कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा सुनने में आया है कि इस बावड़ी में अरबों रुपए का खजाना छिपा हुआ है। वही एक और दावा भी किया जाता है कि यहां सुरंगों का जाल है जो दिल्ली, हांसी, हिसार और पाकिस्तान तक जाता है।
सूत्रों के अनुसार, इस बावड़ी में एक कुआं है ,जिस तक पहुंचने के लिए 101 सीढ़ियां बनी थी, लेकिन अभी केवल 32 सीढ़ियां ही बची है। 1995 में भयंकर बाढ़ आई थी जिसकी वजह से बावड़ी का एक हिस्सा पूरी तरह से बर्बाद हो गया। अब इस बावड़ी को पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है। अब बावड़ी के चारों तरफ रेलिंग लगाई गई है और साफ-सफाई का भी ध्यान रखा जा रहा है।
आपको बता दे, ज्ञानी चोर की गुफा के नाम से प्रसिद्ध यह बावड़ी जमीन से कई फीट नीचे तक बनी हुई है। ऐसा भी माना जाता है कि अंग्रेजों के समय में एक बारात सुरंग के रास्ते दिल्ली जाना चाहती थी। कई दिन बीतने के बाद भी सुरंग में उतरे बाराती न तो दिल्ली पहुंच पाए और ना ही वापस निकल पाए।
बता दे, तब से यह सुरंग सुर्खियों में आ गई थी किसी अनहोनी घटना की वजह से अंग्रेजों ने इस सुरंग को बंद कर दिया जो आज तक बंद पड़ी है। वही महम और आसपास के लोगों का कहना है कि उस समय का प्रसिद्ध ज्ञानी चोर चोरी करने के बाद पुलिस से बचने के लिए यही आकर छुपा था। वही कहा जाता है कि ज्ञानी चोर एक चालक चोर था, जो धनवानो को लूटता था और इस बावड़ी में छलांग लगा कर गायब हो जाता था। यह बावड़ी रोहतक जिले के पास महम में स्थित है।
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