आपको बता दें आजादी से पहले ही आईएएस और आईपीएस के अधिकारियों का सिलेक्शन होता आ रहा है अगर सरल भाषा में कहें तो अंग्रेजों के समय से इनका सिलेक्शन होता है। हालांकि तब इसका नाम अलग हुआ करता था। अंग्रेजों को जब भारत में सुचारू रूप से शासन चलाने और टैक्स जमा करने की जरूरत पड़ी तो, उन्हें इन अधिकारियों की भर्ती शुरू की। इनके लिए उन्होंने 1893 आईसीएस यानी इंपिरियल सिविल सर्विसेज के नाम प्रशासनिक सेवा आरंभ की। इस में चुने गए अधिकारी उस समय आईसीएस कहलाते थे आजादी के बाद भी इस सर्विस को जैसा का वैसा ही रखा गया।
बस इसका नाम बदलकर आईएएस रख दिया गया। आजादी के बाद राज्य सरकार भी अपनी शासन व्यवस्था ठीक से चलाने के लिए आईएएस की तरह ही अपने अधिकारियों की नियुक्ति शुरू कर दी। इन अधिकारियों को पीसीएस कहा जाता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि आईएएस और पीसीएस के अधिकारियों में क्या अंतर होता है।
पहले हम बात करते हैं आईएएस अधिकारी की। तो आपको बता दें एक आईएएस भारत की अखिल भारतीय सेवा का प्रशासकीय भाग है। यह अधिकारी केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में पद स्थापित होते हैं। और सरकार के नजरिए से परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आपको बता दें इन अधिकारियों का चयन यूपीएससी आयोग द्वारा किया जाता है। इस परीक्षा में पास होने के बाद ही इनकी भर्ती होती है।
आपको बता दें यूपीएससी की तरह ही हर राज्य में अपनी पब्लिक सर्विस कमीशन होती है। इन द्वारा राज्य स्तर पर परीक्षा के विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति होती है। इन अधिकारियों को प्रोविजनल सिविल सर्विस या पीसीएस कहा जाता है।
इसमें सफलता पाने वाले अभ्यर्थियों को एसडीएम, एआरटीओ, डीएसपी, बीडीओ आदि उच्च तथा महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति होती है। पीसीएस अधिकारियों की नियुक्ति जिस भी राज्य में होती है उस राज्य में उनका तबादला होता है किसी दूसरे राज्य में उनका तबादला नहीं हो सकता।
आपको बता दें एक आईएएस का चयन यूपीएससी परीक्षा के बाद होता है, वही पीसीएस की भर्ती परीक्षा सभी राज्यों के स्तर पर राज्य लोक आयोग सेवा द्वारा आयोजित राज्य सिविल सेवा परीक्षा द्वारा होती है।
IAS की भर्ती और सेवा सम्बन्धी मामलों का फैसला केंद्र द्वारा स्थापित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा किया जाता है, वहीं PCS की चयन और सेवा सम्बन्धी मामलों का फैसला राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण करता है।
-आईएएस बनने के लिए जरूरी परीक्षा C.TET होती है, वहीं राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सीसैट का पेपर हो भी सकता है और नहीं भी।
-यूपीएससी परीक्षा में एक क्वालीफाइंग क्षेत्रीय भाषा की परीक्षा होती है, वहीं पीसीएस परीक्षा में जरूरी रूप से क्षेत्रीय भाषा या सांख्यिकी का एक पेपर होता है।
केंद्र द्वारा आयोजित यूपीएससी की परीक्षा में प्रश्न तथ्यात्मक की तुलना में अवधारणात्मक ज्यादा होते हैं, वहीं पीसीएस में तथ्यात्मक प्रश्नों पर ज्यादा जोर दिया जाता है।
यूपीएससी परीक्षा में चयनित अधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है, वहीं पीसीएस अधिकारियों की नियुक्ति उस राज्य के राजयपाल के द्वारा होती हैं।
सेवा के दौरान आईएएस अधिकारी को बर्खास्त करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार का होता है, वहीँ पीसीएस को राज्य सरकार निष्कासित कर सकती है।
पूरे देश में एक आईएएस अधिकारी कहीं भी तैनात रहें, उनका वेतन एक सामान होता है और यह कैडर राज्य के द्वारा दिया जाता है। वहीं पीसीएस का वेतन संबंधित राज्य देता है।
वहीं पदोन्नत की बात करें तो एक आईएएस अधिकारी एसडीएम से अपना करियर शुरू कर राज्य व केंद्र के मुख्य सचिव के पद तक जा सकता है। वहीं पीसीएस अधिकारी पदोन्नति होकर आईएएस कैडर पा सकता है और राज्य में सचिव पद तक जा सकता है।
आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर अपने स्टेट काडर से अलग पूरे देश में भी कहीं पर हो सकती है, लेकिन पीसीएस अधिकारियों का तबादला अपने राज्य से बाहर नहीं होता।
आईएएस अधिकारी की सैलरी और पेंशन उसके संबंधित काडर द्वारा दिया जाता है, वहीं पीसीएस अधिकारियों की सैलरी और पेंशन की व्यवस्था उनकी राज्य की सरकार करती है।
आपको बता दे, एक आईएएस अधिकारी का वेतन बेहद शानदार होती है। सातवें पे कमीशन के बाद की बात करें तो एक IAS ऑफिसर की सैलरी 56,100 से 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह के बीच होती है।
वहीं पीसीएस अधिकारियों की सैलरी भी कम नहीं होती। हालांकि यह हर स्टेट के हिसाब से अलग होती है। अगर हम यूपी की बात करें तो यहां पर एक पीसीएस अधिकारी को एंट्री लेवल पर वेतनमान 56,000 से 1,32,000 रुपये सैलरी मिलती है।
वहीं हाईएस्ट पे लेवल 15 पर पहुंचने के बाद वेतनमान 1,82,200 से 2,24,100 रुपये के बीच होती है। इसके साथ-साथ इन्हें कई तरह की सुविधाएं भी मिलती है।
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