पिछले साल चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब तक दुनिया के 188 देशों में फैल चुका है। इस बीमारी के चपेट में अब तक करीब एक करोड़ लोग आ चुके हैं, जबकि करीब पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन अब तक इस महामारी की रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है।
हालांकि कोविड-19 पर काबू पाने के लिए वैक्सीन बनाने के लिए मौजूदा समय में 120 मेडिकल टीमें दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में रिसर्च में जुटी हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में उल्लेखनीय कामयाबी नहीं मिली है।
भारत ने बनाई कोरोना वैक्सीन
सरकार ने भारत बायोटेक द्वारा तैयार की जा रही भारत की पहली COVID-19 वैक्सीन COVAXIN को क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसका इंसानों पर ट्रायल शुरू हो जाएगा। बता दें कि भारत में तैयार की जा रही यह कोविड-19 की पहली वैक्सीन है जिसे क्लीनिकल ट्रायल करने की मंजूरी मिली है।
भारत बायोटेक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से वैक्सीन बनाने में जुटा हुआ है। अब देखना है कि यह वैक्सी क्लीनिकल ट्रायल में असरदायक होती है या नहीं।
स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने कहा की
दुनिया भार में 100 से अधिक कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट डेवलपमेंट के विभिन्न चरणों में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने कहा की, महामारी ने वैश्विक एकजुटता के महत्व पर प्रकाश डाला है। साथ ही स्वास्थ्य को एक लागत के रूप में नहीं, बल्कि निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दुनिया को एक साल या उससे भी पहले भी कोविड-19 की वैक्सीन मिल सकती है। वैक्सीन को विकसित करने, उसका निमार्ण करने और वितरण करने में उन्होंने वैश्विक सहयोग के महत्व की बात भी कही है।
लंदन में नए वैक्सीन का मानवीय परीक्षण शुरू हो गया है। इंपीरियल कॉलेज लंदन की ओर से विकसित किए गए वैक्सीन का टीका आने वाले सप्ताहों में करीब 300 लोगों को लगाया जाएगा।
जानवरों पर हुए परीक्षण में वैक्सीन सुरक्षित पाया गया है और प्रभावी इम्यून विकसित करने में सफल रहा है। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी ह्यूमन ट्रायल शुरू कर चुका है। दुनिया में करीब 120 वैक्सीन प्रोग्राम पर काम चल रहा है।
मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर जल्दी से वैक्सीन मिली भी तो भी इस साल के अंत तक ही मिल पाएगी।
कोविड-19 की वैक्सीन इतनी अहम क्यों है?
अनुमान यह है कि, दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कोरोना वायरस की चपेट में आ सकता है। ऐसे में वैक्सीन इन लोगों को कोरोना वायरस की चपेट में आने से बचा सकती है। कोरोना वायरस की वैक्सीन बन जाने से महामारी एक झटके में खत्म तो नहीं होगी, लेकिन तब लॉकडाउन का हटाया जाना खतरनाक नहीं होगा और सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधानों में ढिलाई मिलेगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि 31 दिसंबर 2019 को हुई थी। जिस तेजी से वायरस फैला उसे देखते हुए 30 जनवरी 2020 को इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया गया था | लेकिन शुरुआती वक्त में इस वायरस के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी और इस कारण इसका इलाज भी जल्द नहीं मिल पाया।
आखिर इसके तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?
फिलहाल दुनिया भर में 120 जगहों पर कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें 13 जगहों पर मामला क्लीनिकल ट्रॉयल तक पहुंचा है। इन जगहों में पांच चीन, तीन अमरीका और दो ब्रिटेन में हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया, रूस और जर्मनी में एक-एक जगहों पर ट्रॉयल चल रहा है।
ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण करने की तैयारी शुरू हो गई है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज में 300 लोगों पर यह ट्रॉयल किया जाएगा। इंपीरियल कॉलेज लंदन में होने वाले इस ट्रायल का नेतृत्व प्रोफेसर रॉबिन शटोक कर रहे हैं। कहा गया है कि इस वैक्सीन का जानवरों पर किया ट्रॉयल सफल रहा है और यह इससे इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
कोविड-19 को लेकर पहले ह्यूमन ट्रायल में आठ मरीजों के शरीर में एंटीबॉडीज का इस्तेमाल किया गया। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में भी 800 लोगों पर ट्रायल शुरु किया जा रहा है। इसके अलावा अस्ट्राजेनेका कंपनी से भी 10 करोड़ वैक्सीन डोज की डील भी की गई है।
Written By- Prashant K Sonni
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