इस जिंदगी में भगवान हमें बहुत सारे अनमोल गिफ्ट देते हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा अनमोल तोहफा जो भगवान ने हमें दिया है वह हमारे माता-पिता है। किसी भी इंसान की जिंदगी में उनके माता पिता का स्थान भगवान से भी पहले आता है। माता पिता हमारे लिए सब कुछ करते हैं। वह हमारे लिए सबसे पहले पूजनीय हैं। माता-पिता अपने बच्चों को बिल्कुल निस्वार्थ प्रेम करते हैं। वह अपने बच्चों के लिए अपनी खुशियों का भी त्याग कर देते हैं। वे हर मुमकिन कोशिश करते हैं, जिससे कि बच्चों को किसी भी चीज की कमी ना आए।
बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाए लेकिन मां-बाप के लिए वह हमेशा छोटे ही रहते हैं। इस दुनिया में हर रिश्ते झूठा हो सकता है, सिवाय मां बाप के। दुनिया में जिस रिश्ते पर हम सबसे ज्यादा विश्वास कर पाते हैं वह मां-बाप का रिश्ता होता है। मां बाप अपने बच्चे के लिए क्या-क्या करते हैं, वह सब हमारी सोच से भी परे हैं। मां बाप सिर्फ चाहते हैं कि उनके बच्चे खुश रहें और हमेशा सलामत रहे।
वह अपनी सारी ख्वाहिशों को मारकर अपने बच्चे की जिंदगी में हर खुशी भर देते हैं। अभी एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश से आया है, जहां पर एक पिता अपने बेटे की सेहत को लेकर हर जगह भटका।
जब उसे कहीं भी राहत नहीं मिली आखिर में थक हार कर संकट मोचन हनुमान जी के दरबार में आ गया और सब कुछ भगवान के ऊपर छोड़ दिया। वह पिछले 1 महीने से अपने बेटे के साथ मंदिर में रह रहा है। उसका परिवार रात दिन बाद उसके स्वस्थ होने की कामना कर रहा है।
यह मामला मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले से सामने आया है। यहां पर खेड़ी गांव निवासी बलवंत सोंधिया का 15 साल का बेटा करीब 2 साल पहले पेड़ से गिर गया था। जिस वजह से उसके हाथ में फैक्चर हो गया था। फैक्टर ठीक करवाने के लिए वह हर जगह घूमा। फैक्टर तो ठीक हो गया लेकिन कुछ दिन बाद वह नई बीमारी का शिकार हो गया।
अपने बेटे के इलाज के लिए वह इंदौर, कोटा, झालावार, ग्वालियर और कई बड़े शहरों के चिकित्सकों को उसने दिखाया। लेकिन उन्हें कोई भी फायदा नहीं हुआ। वह हर जगह अपने बीमार बेटे को लेकर घूमा, लेकिन कहीं भी उसे राहत नहीं मिली।
पिता ने अपने बेटे के इलाज में 1500000 रुपए खर्च कर दिए और वह इंदौर से लेकर कोटा, ग्वालियर, झालावाड़ और भी कई बहुत बड़े बड़े शहरों के नाम ही चिकित्सकों पर इलाज करवाया। लेकिन हर जगह भटकने के बाद भी उसे कहीं आराम नहीं मिला।
बलवंत अपने बेटे को किसी भी हाल में ठीक करना चाहता था और वह इसके लिए अपनी हर मुमकिन कोशिश कर रहा था। उसने अपने बेटे के इलाज के लिए अपनी 3 बीघा जमीन भी बेच दी। लाखों रुपए खर्च किए लेकिन फिर भी उन्हें फायदा नहीं मिला।
आपको बता दे, जब सभी डॉक्टरों ने उसके बेटे को देखा और अंत में आकर अपने हाथ खड़े कर दिए की वह उसके बेटे को ठीक नहीं कर सकते तो, वह हार कर मांडाखेड़ा हनुमान मंदिर में पहुंच गया।
पिता थक हार कर अपने बेटे को लेकर बजरंगबली की शरण में आ गया। वह अपने बेटे और परिवार के साथ 1 महीने से घर छोड़कर मंदिर में रह रहा है और पूरे परिवार वाले दिन रात बेटे के स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। उसे पूरी उम्मीद है कि बजरंगबली उसके बेटे को जरूर ठीक कर देंगे।
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