भारत में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। जिन्हें लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं। उसी में से एक है होली। यह फागुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और शाम के शुभ समय के मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है। धार्मिक मान्यता यह है कि भगवान विष्णु के भक्त पहलाद को हिना कश्यप ने होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने की कोशिश की थी। उस दौरान होलिका खुद जलकर राख हो गई थी लेकिन भक्त पहलाद जिंदा वापस आ गए थे। उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा थी। तभी से होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक में मनाया जाता है। यह त्यौहार इस बार होलिका दहन 17 मार्च और होली 18 मार्च के दिन मनाई जाएगी। होलिका दहन के समय कुछ चीजों को ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। इस दिन भूलकर भी आप यह गलतियां ना करें, वरना आपके जीवन में बहुत सारी समस्याएं आ जायेंगी।
ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक है। इसलिए नवविवाहित कोई है अग्नि नहीं देखनी चाहिए। इसे बहुत ही अशुभ माना जाता है। इससे उनके वैवाहिक जीवन में बहुत दिक्कतें आ सकती हैं।
होलिका दहन वाले दिन किसी को भी उधार पैसे नहीं देनी चाहिए। ऐसे करने से घर में कभी बरकत नहीं होती और आर्थिक समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इतना ही नहीं इस दिन उधार भी नही लेना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि अगर माता-पिता की आप इकलौती संतान हैं तो होलिका दहन करने से आपको बचना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। एक भाई और एक बहन होने पर होलिका की अग्नि को प्रज्वलित किया जा सकता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन होलिका दहन के लिए पीपल, बरगद या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल न करें। ये पेड़ दैवीय और पूजनीय पेड़ हैं। साथ ही इस मौसम में इन वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं, ऐसे में इन्हें जलाने से नकारात्मकता फैलती है। होलिका दहन के लिए गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस दिन अपने माता-पिता का आशीर्वाद जरूर लें। उन्हें कोई उपहार लाकर जरूर दें ऐसा करने से श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा आप पर बनी रहती है। किसी भी महिला का भूल कर भी अपमान ना करे।
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