जैसे कि आप सभी को पता ही है कि 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर बहुत अत्याचार किए गए थे। जिसको फिल्म द कश्मीरी फाइल्स में बहुत अच्छे से दर्शाया गया है। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं lऐसे में एक खबर सामने आई है कि इस फिल्म के रिलीज होने के बाद कश्मीर पंडितों पर कहर बरसाने वाले पर खुद कहर बरस गया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
आपको बता दें इस फिल्म का निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया है और रिलीज होते ही यह फिल्म सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में चल रही है। इस फिल्म में ना सिर्फ भारतीय सिनेमा में हड़कंप मचाया है बल्कि विश्व स्तर पर भी इस फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हो रही है। इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को दर्शाया गया है। द कश्मीरी फाइल्स फिल्म ने समाज में प्रकाश का काम किया है और सालों से छुपा सच सभी के सामने लाया है।
अब कश्मीर अलगाववादी नेता यासीन मलिक जैसे कुख्यात आतंकी जो भारत से कश्मीर को अलग करना चाहते हैं, उनकी सोच और 90 के दशक में किए गए कामों का पर्दाफाश इस फिल्म के घटनाक्रमों में खूब अच्छे से दर्शाया गया है।
आपको बता दें, आपको बता दें 1990 में एक हमले के दौरान चार भारतीय वायु सेना के कर्मियों की हत्या के आरोप में मार्च 2020 में यासीन मलिक पर लगाया गया है और वर्तमान में वह ट्रायल के तहत जेल के सलाखों के पीछे हैं। अब तक उस पर यूएपीए नहीं लगाया गया है। अब एनआईए कोर्ट उस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए गए हैं।
90 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे, जिसमें सबसे अहम भूमिका जम्मू कश्मीर के लिबरेशन फ्रंट का मुखिया यासीन मलिक की थी। इस फिल्म में ऐसे ऐसे सीन है जिन्होंने दर्शकों को झकझोर दिया है। कोर्ट के द्वारा लिए गए इस फैसले की सभी सराहना कर रहे हैं।
अदालत की तरफ से कहा गया है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और उसकी प्रेरणा इसने एडोल्फ हिटलर की पसंद की प्ले बुक और ब्राउन शर्ट के मार्च से ली थी। नाजी पार्टी की मूल अर्धसैनिक शाखा जिसने 1920 के दशक में हिटलर के सत्ता में आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि साजिश में आई एस आई जैसे पाकिस्तानी एजेंसियों के रूप में सीमा पार कराने में अहम भूमिका निभाई। जम्मू कश्मीर को अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ रक्तपात हिंसा तबाही और विनाश की एक दुखदाई गाता का उल्लेख इतिहास के पन्नों में लिखा गया है।
आपको बता दें दिल्ली की एनआईए अदालत ने जम्मू कश्मीर में होने वाली आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित 15 आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
बता दे अपराधी साजिश के लिए अदालत ने यह आरोप तय किया है। अदालत का कहना है कि भारत से जम्मू कश्मीर को अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ यह साजिश रची गई थी। उन सभी कामों को आतंकवादी जांच के बाद आतंकवादी कृत्य माना गया है।
आपको बता दे, अदालत ने पहले यह पाया कि एक अपराधिक साजिश थी। जिसके तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए जिसका परिणाम बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई।
आपको बता दे, इसपर यह तर्क दिया गया कि “यह गांधीवादी मार्ग का अनुसरण करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए थे।” हालांकि, सबूत कुछ और ही बयां कर रहे हैं। यह सिर्फ मासूम पंडितों की हत्या करना था। यह केवल हिंसा विरोधी थे, जिनका इरादा कश्मीर को भारत से अलग करना था। आपको बता दें कि यूपीए शासन में यासीन मलिक को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया था। आज वह यासीन मलिक कानून की बेड़ियों में जकड़ चुका है।
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