सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी फरीदाबाद नगर निगम क्षेत्र में सीवर की सफाई का काम गठन के अंदर उतरकर करना पड़ रहा है। ऐसे ही शनिवार को पलवल में एक सीवरमैन की मौत गटर के अंदर उतर कर सफाई करने के दौरान हो गई। इस घटना के बाद भी नगर निगम प्रशासन को सबक नहीं मिला है। हालांकि शहर के 40 वार्डों में सीवर सफाई का कार्य प्राइवेट एजेंसियों को दिया हुआ है।
जिनके पास सुपर मशीन तो है लेकिन उसके बावजूद सीवरमैन को गटर के अंदर उतरना पड़ता है। इससे यह साबित होता है कि आज भी प्राइवेट ठेकेदार सीवरमैन को गटर में उतारते हैं। वैसे तो नगर निगम के पास ना तो रोबोटिक मशीन है और ना ही ऑटोमेटिक सीवर सफाई करने की मशीन।
नगर निगम सीवर की सफाई पर पिछले 5 साल के दौरान 100 करोड़ से भी ज्यादा पैसे खर्च हो चुके हैं। लेकिन सीवरमैन को उपलब्ध कराने में जरा सी भी राशि खर्च नहीं की गई है। और नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रधान नरेश शास्त्री का कहना है, कि एक सीवरमैन के पास सेफ्टी बेल्ट, वाटर प्रूफ, वर्दी हेलमेट ,ग्लव्स, मास, ऑक्सीजन, सिलेंडर ,गम बूट, टेक्नोलॉजी के अनुसार गैस डिक्टेटर आदि होना चाहिए। ताकि पता चल सके कि लाइन में गैस कितनी है ,लेकिन फरीदाबाद के कर्मचारियों के पास इनमें से कुछ भी नहीं दिखाई देता है।
अब तक हाथों से गटर की सफाई करते हुए कर्मचारियों में 10 मौतें हो चुके हैं। वहीं 2015 में मिथुन की मौत सेक्टर 7 डिस्पेंसरी के पास काम करते वक्त हुई।
2017 में संतोषस राहुल की मौत बायपास रोड संतोष नगर के पास डिस्पोजल में काम करने के दौरान हुई।
2018 में आरएस सोसाइटी पलवल में शेर सिंह और उदय चंद की मौत काम करने के दौरान हुई थी।
2019 मार्च में वार्ड नंबर 9 में काम करने के दौरान इंद्राज बेहोश हो गया था।
वहीं 2019 में 3 अप्रैल को प्राइवेट ठेकेदार की ओर से ग्रीन फील्ड कॉलोनी में सीवर की सफाई का काम किया जा रहा था। जिस वक्त दो सीवरमैन की मौत हो गई।
2 फरवरी 2022 को सेक्टर 14 के तो प्राइवेट सीवरमैन की गटर में उतरते ही मौत हो गई थी।
बता दें कि नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत इस समय 1273 किलोमीटर लंबी सीवर की लाइन बिछाई गई है। इतने बड़े सीवर नेटवर्क की सफाई के लिए नगर निगम के पास केवल 200 सीवरमैन ही है। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम ने सीवर की सफाई का काम मशीनों की सहायता से शुरू कर दिया है और नगर निगम के पास तीन सुपर सवर मशीनों के अलावा 15 से ज्यादा जेटिग मशीनें उपलब्ध भी हैं।
लेकिन यह मशीनें सही तरीके से सीवर लाइन की सफाई करने में सक्षम नहीं है। आज भी जरूरत पड़ने पर में उतरना ही पड़ता है और नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रधान नरेश शास्त्रीय कहना है, कि यूनियन पिछले कई सालों से नगर निगम से मांग करती आई है और अगर में उतरता भी है तो उसके पास उचित चीजें होनी चाहिए फीवर में उतरने से पहले उसके पास मास्क ऑक्सीजन सिलेंडर जूते ग्लास रस्सी आदि की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन फरीदाबाद में ऐसा कुछ भी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम को सीवर सफाई के लिए ऑटोमेटिक मशीन या रोबोटिक मशीन का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन आज तक नगर निगम ने इस ओर ध्यान भी नहीं दिया। वहीं शहर में इस वक्त 40 वार्डों में सीवर सफाई का कार्य प्राइवेट ठेकेदारों को दिया हुआ है। इन ठेकेदारों के पास भी उचित मशीन नहीं है। जिस कारण आज भी सीवरमैन गटर के अंदर उतरता है हालांकि नगर निगम ने साफ तौर पर अपने कॉन्ट्रैक्ट में लिखा है, कि कोई ठेकेदार सीवरमैन को गटर के अंदर नहीं होता रहेगा लेकिन इसके बावजूद भी प्राइवेट ठेकेदार सीवरमैन को गठन में अंदर उतारते हैं जिससे दम घुटने से लगातार मौतें हो रही हैं
वहीं शहर में सीवर सफाई का कार्य प्राइवेट ठेकेदारों को दिया हुआ है। उन्हें सख्त हिदायत दी गई है, कि किसी भी सीवरमैन को गटर के अंदर नहीं उतारना और अगर उतारना भी पड़ रहा है। तो पूरा सम्मान होना चाहिए वैसे नगर निगम के पास सीवर साफ करने वाली अभी एक भी रोबोटिक मशीन उपलब्ध नहीं है।
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