यूरोपियन देशों के लोग इस बार औद्योगिक नगरी के गेहूं के आटे से बनी रोटियां खाएंगे। बता दें अपने जिले की विभिन्न मंडियों में इस बार किसानों का गेहूं व्यापारी उनके घर से ही उठा रहे हैं और उन्हें इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है। साथ ही की गेहूं स्थानीय आढ़ातियों के माध्यम से गुजरात के व्यापारी खरीद रहे हैं। साथ ही सीधी खरीद फरोख्त का असर यहां पड़ रहा है
इस सत्र में मंडियों में सरकार गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा और यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध के चलते विभिन्न देशों में यूक्रेन से गेहूं की आपूर्ति नहीं हो पा रही। यूक्रेन गेहूं उत्पादन में विश्व में 11 वे स्थान पर आता है और रूस सेना के हमले के बाद यूक्रेन में बाकी सब चीजों के साथ-साथ गेहूं उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है।
ऐसे में भारत के गेहूं की मांग विदेशों में भी बढ़ गई है और देश में गुजरात के व्यापारी विदेश में सबसे ज्यादा कारोबार कर रहे हैं। जिन व्यापारियों के पास निर्यात करने के लिए लाइसेंस है। उन्होंने अपने लोगों को गेहूं खरीदने के लिए विभिन्न जिलों में भेजा है और यह व्यापारी ज्यादा दिल्ली और फरीदाबाद के बताए जा रहे हैं। और सरकार ने गेहूं का भाव इस वर्ष 2015 प्रति कुंतल किया है, जबकि किसानों से दिल्ली और फरीदाबाद के व्यापारियों घरों में ₹250 से लेकर ₹2100 प्रति कुंतल के हिसाब से खरीद रहे हैं।
किसानों का गेहूं घर बैठे बिक रहा है। तो इसका सीधा असर मंडी में गेहूं की आवक पर पड़ रहा है। जो अंततः खरीद के लक्ष्य को प्रभावित करेगा मोहना मंडी में इस बार गेहूं की अब तक कुल 3.53 लाख कुंतल की खरीदी हुई है और जबकि पिछले वर्ष से अंतर करें तो पिछले वर्ष 8 लाख कुंतल के करीब आवक हुई थी। सचिव और कार्यकारी अधिकारी मार्केट कमेटी मोहना लेखचंद का कहना है की, आवक घटने का कारण गेहूं घर बैठे महंगा बिकना और उत्पादन कम होना है। जब सरकारी खरीद पूरी तरह से बंद हो जाएगी उसके बाद ही यह कह पाना उचित होगा कि लक्ष्य हासिल हो पाया है या नहीं।
मिर्जापुर के किसान संजय कुमार का कहना है कि गांव से व्यापारी गेहूं खरीद कर ले जा रहे हैं। यह व्यापारी दिल्ली और फरीदाबाद के बताए जा रहे हैं। ऐसा सुनने में आया है, कि यह गेहूं लेकर बाहरी राज्यों में जा रहे हैं। और गुजरात के व्यापारी अनाज की खरीदी कर रहे हैं। साथ ही स्थानीय आढ़ातियों के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं। वहीं किसानों को घर बैठे ही इसका अच्छा भाग भी मिल रहा है।