फरीदाबाद के गांव फतेहपुर बिल्लोच के बच्चें खेलने के लिए तरस रहे है क्योंकि उस गांव में ना तो खेलने के लिए मैदान है ना ही स्टेडियम और ना ही गाइड करने के लिए कोच है अब इतनी सारी समस्याओं के बाद भी वहा पर बच्चें अपने अपने गेम की तैयारी करते है, उस गांव में जहां देखो वहां बड़ी बड़ी घास नज़र आती है
यहां पर एथलेटिक्स का अभ्यास करने वाले युवाओं ने अपने स्तर पर कच्चा ट्रैक बनाया हुआ है। गाजर घास के बीच दौड़ने व अन्य तरह का अभ्यास करने वाले स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होती हैं। फतेहपुर बिल्लौच में ग्रामीण स्टेडियम बनाने की योजना 2007 में शुरू की गई थी इसके लिए 9 एकड़ जमीन खेल विभाग स्टेडियम बनाने के लिए दी थी ।
यहां पर स्टेडियम तो बनाया गया परंतु खेलने के लिए मैदान नहीं बनाया जिस वजह से वहां पर खिलाड़ी अपना अभ्यास नहीं कर पाते हैं सरकार का उद्देश्य था कि खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए और खिलाड़ियों में रुचि जगाने के लिए खिलाड़ियों के नजदीक ही स्टेडियम बनाया जाए
सभी को जिला मुख्यालय पर अभ्यास के लिए ना आना पड़े क्योंकि आने जाने में खिलाड़ियों का काफी वक्त जाया होता हैस्टेडियम में एक बार किसी कोच की ड्यूटी भी लगाई थी, लेकिन अब कोई कोच नहीं आता है, सुविधाओं के नाम पर बास्केटबाल, हाकी व फुटबाल के पोल खड़े हैं। और कुछ नहीं। सेफ्टी टैंक के गटरों के ढक्कन भी गायब है
यहां पर यहां पर रात में अंधेरा होता है और इन खुले हुए गठन में कोई बच्चा रात के अंधेरे में गिरकर दुर्घटना का शिकार हो सकता हैइनकी तरफ न तो खेल विभाग ध्यान दे रहा है और न ही पंचायत। सरकार ने यदि स्टेडियम बनाए हैं,
तो इनमें सुविधा भी उपलब्ध करानी चाहिए। इस तरह से तो खेल विभाग ने पंचायत की जमीनों पर कब्जे किए हैं। पहले नौ एकड़ भूमि में किसान फसल तो उगा लेते थे, अब तो खेती भी नहीं कर सकते।