कहते है की झूठ का अंधेरा चाहें कितना ही काला क्यू ना हो पर सच के उजाले के आगे एक न एक दिन तो मिट ही जाता है । कुछ ऐसा ही इस शख्स के साथ हुआ । हथीन के इस मामले को ही देख लीजिए । हथीन के एक शख्स ने फर्जी कागज़ बनवा कर पहले तो चौकीदार की नौकरी पा ली फिर जब उसे लगा की उसका सच किसी को पता नहीं चलेगा और उसके मन में और लालच जागने लगा तो उसने और फर्जी कागज़ बनवा कर बैंक में ही प्रमोशन के साथ मैनेजर की नौकरी पा ली और 24 साल तक मजे लेता रहा ।
किसी को फर्जीवाड़े का पता नहीं चला। अब सीएम विंडो पर शिकायत हुई तो मामले की जांच शुरू हुई। सामने आया कि आरोपी ने दसवीं फेल का फर्जी प्रमाण-पत्र बनवाया था। ज्यादा समय तक नौकरी करने के लिए उसने जन्मतिथि में भी हेराफेरी की। इसी आधार पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू की गई है।
यह भी आरोप है कि नियुक्ति के वक्त यह व्यक्ति नौकरी के लिए पात्र नहीं था। ऐसे में पूरे मामले में और लोगों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। बैंक प्रबंधन भी आरोपी के रिकॉर्ड की जांच में जुट गया है।
ऐसे उठा सचाई पर से पर्दा
टोंका निवासी असरूद्दीन ने सीएम विंडो पर शिकायत दी थी कि उटावड पैक्स बैंक के मैनेजर हाजर खान ने शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में हेराफेरी की है। दो जिलों के शिक्षा अधिकारियों ने जांच की।
पता चला कि आलीमेव स्थित स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला लेते समय हाजर खान की जन्मतिथि 22 अगस्त 1963 दर्ज हुई। आलीमेव के ही राजकीय उच्च विद्यालय में दाखिला लेते समय दसवीं में जन्मतिथि 10 अगस्त 1968 हो गई। यह जन्मतिथि यासीन खान मेव उच्च विद्यालय नूंह द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर दर्ज कराई गई।
एक ही व्यक्ति की दो जन्मतिथि होने पर स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी पलवल अशोक बघेल को जांच सौंपी। नूंह जिला के शिक्षा अधिकारियों से भी यासीन खान मेव उच्च विद्यालय द्वारा जारी प्रमाण-पत्र की जांच कराई। जांच में पाया गया कि हाजर खान ने कभी इस विद्यालय में पढ़ाई नही की है। दोनों जिलों की रिपोर्ट के बाद ही धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
आखिर ये PACS है क्या ?
पैक्स सहकारी क्षेत्र का बैंक है। यह असिस्टेंट रजिस्ट्रार पलवल के नियंत्रण में काम करता है। असिस्टेंट रजिस्ट्रार प्रवीण कादयान का कहना है कि उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी। राज्य सरकार ने कई छोटी-छोटी सहकारी समितियों के समूह बनाकर इन्हें आपस में विलय करके Primary Agricultural Credit Societies (PACS) के नाम से स्थापित किया है।
यहां आम बैंकों की तरह लेनदेन नहीं होते। पैक्स के माध्यम से किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से फसली ऋण एवं अन्य आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। पैक्स जिला सहकारी बैंक की सहायता से संचालित होते हैं।
बैंक पे भी उठ रहे है कई सवाल
चौकीदार से मैनेजर बने हाजर खान का फ्रॉड उजागर होने से क्षेत्र के लोग हैरान हैं। लोगों ने आशंका जताई है कि कहीं उसने नौकरी के दौरान बैंक में भी तो फ्रॉड नहीं किया है।
ऐसे में इसे ध्यान में रखकर भी जांच होनी चाहिए। उधर, बैंक की ओर से हाजर खान के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी हो रही है। आरोप है कि नौकरी के दौरान एग्जाम देने को लेकर भी अनुमति नहीं ली गई थी। भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए हैं।