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स्मार्ट सिटी का हो रहा बुरा हाल, चलने को सड़क नही पीने को पानी नहीं

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फरीदाबाद का हाल तो किसी से छुपा नहीं है, चाहे टूटी हुई सड़कों का हाल हो या फिर पानी की समस्या ।लेकिन फिर भी साकार का कहना है की जिम्मेदारी निभा रहे है हम । एनआईटी की टूटी सड़कें लोगों के लिए परेशानी बनी हुई हैं। तिकोना पार्क और बाटा से मुजेसर जाने वाली सड़क ज्यादा बदहाल है। सड़क टूटी होने के कारण वाहन चालक हिचकोले खाने को मजबूर हैं। लोगों का आरोप है कि शहर के हालात से वाकिफ अधिकारी ने मोन धारण किया हुआ है । शहर का विकास केवल कागजों में हो रहा है ।

परेशान लोग जब उच्चाधिकारियों के पास पहुंचकर अपना दुखड़ा रोते हैं तो उच्चाधिकारी भी ठीक से पेश नहीं आते। लोगों ने पानी के कनेक्शन ले रखा है। सरकार को टैक्स दे रहे हैं फिर उन्हें पानी कौन देगा।बता दें कि नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार सीवर-पानी के करीब 2.40 लाख वैध कनेक्शन हैं। निगम के अनुसार शहर में सीवर-पानी के पांच लाख से अधिक कनेक्शन हैं।

स्मार्ट सिटी का हो रहा बुरा हाल, चलने को सड़क नही पीने को पानी नहीं

करीब 2.60 लाख कनेक्शन अवैध रूप से चल रहे हैं। लॉकडाउन से पहले नगर विभिन्न क्षेत्रों में शिविर लगाकर वसूली करता रहा है और सीवर-पानी कनेक्शन के नए आवेदन भी लेता रहा है, मगर कोरोना संकट के बाद से अब तक स्थिति बिगड़ी हुई है। निगम अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

स्मार्ट सिटी का हो रहा बुरा हाल, चलने को सड़क नही पीने को पानी नहीं

सड़कें का हो रहा हाल बदहाल

सड़क खराब होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पद रहा है ।फिर बाद में करीब करीब 28 हज़ार छोटी बड़ी कंपनियां है। जिसमे करीब 27 लाख लोग काम करते है । औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी शहर की सड़कें टूटी हुई है।

सड़क पर साइट नहीं होने के कारण कई बार राहगीरों से झपटमारी हो जाती । मार्गों पर रोशनी की भी सुविधा नहीं तिकोना पार्क और कटा मुजेसर रोड शहर के व्यस्त सड़कों में शुमार है। इन सड़कों से प्रतिदिन हजारों की तादाद में लोग गुजरते हैं

स्मार्ट सिटी का हो रहा बुरा हाल, चलने को सड़क नही पीने को पानी नहीं

औद्योगिक क्षेत्र से सटे होने के कारण सबसे ज्यादा मौकरी पेशा वाले लोग इन सड़कों से गुजरते हैं। शाम को इन सड़कों पर ज्यादा दबाव रहता है।

स्मार्ट सिटी का हो रहा बुरा हाल, चलने को सड़क नही पीने को पानी नहीं

सड़कों के अनगिनत गड्ढे है, और स्ट्रीट लाइट भी नही है । जिसकी वजह से लोगों की जान को खतरा बना ही रहता है । हालाकि सरकार लगातार दावे कर रही है पर सरकार और सरकार का दावा केवल कागजों तक ही सीमित है ।

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