अरावली से लेकर यमुना नदी तक करीब 18 किलोमीटर तक बुढि़या नाला सफर तय करता है। यह सदियों पुराना नाला है। अरावली पहाड़ी में वर्षा का पानी इस नाले के माध्यम से यमुना नदी तक पहुंचता था, लेकिन अतिक्रमण व कचरे की वजह से अब शहर में जगह-जगह जलभराव होता है। बुढि़या नाले की सफाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है।
एक तो सफाई पूरी तरह से नहीं हो रही है। नाले के अंदर पानी निकलने के लिए थोड़ी सी ही जगह बनाई जा रही है। दूसरा यह कि जो कचरा बाहर जाना चाहिए, उसे नाले के ऊपर ही ढेर बनाकर डाला जा रहा है। वर्षा के बाद यह कचरा बहकर फिर से नाले में पहुंच जाएगा।
नाले की सफाई फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण (एफएमडीए) द्वारा कराई जा रही है। इस पर तीन करोड़ पांच लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। अधिकारियों की निगरानी न होने की वजह से ठेकेदार द्वारा इस काम में लापरवाही बरती जा रही है।
अहम बात यह भी है कि इस मामले में अधिकारियों को जानकारी ही नही है, क्योंकि मौके की निगरानी होती ही नहीं है।पहले चरण में रेलवे लाइन से आगरा-गुरुग्राम नहर तक करीब 2300 मीटर बुढि़या नाले की सफाई की जाएगी। इस जगह सबसे अधिक कचरा जमा है।
कचरे की वजह से नाले में वर्षा का पानी ओवरफ्लो होकर आसपास के क्षेत्र में जमा हो जाता है। शहर में होने वाले जलभराव से निजात पाने को बुढि़या नाला काफी अहम है। यदि नाला पूरी तरह से साफ हो जाए तो मानसून में वर्षा का पानी यमुना नदी तक पहुंच सकता है।
एफएमडीए द्वारा ड्रोन सर्वे कराया गया था। ड्रोन से नाले की वास्तविक स्थिति का पता किया गया और फोटो भी खींचे गए। सफाई पूरी होने के बाद दोबारा ड्रोन से सर्वे होगा। अरावली से यमुना तक है बुढि़या नाला ।
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