फरीदाबाद के लोगों को मिलेगा हाईवे के जलभराव से निजात, प्रशासन ने किया नई तकनीक का प्रयोग

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 फरीदाबाद के लोगों को मिलेगा हाईवे के जलभराव से निजात,  प्रशासन ने किया नई तकनीक का प्रयोग

फरीदाबाद में लोगों के लिए सड़कों पर जलभराव आम बात हो गई है। हर बरसात में ये जलभराव देखने को मिलता है। लेकिन अब इसमे बदलाव आ सकता है। बता दें इस बार हाईवे पर जलभराव नहीं होगा। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से चौराहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। अजरौंदा चौक पर तीन जगह हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं।

इन्हें बनाने में कन्वेंशनल तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक बार में करीब ढाई लाख लीटर पानी स्टोरेज कर सकेंगे। इससे जलभराव पर काबू किया जा सकता है।

फरीदाबाद के लोगों को मिलेगा हाईवे के जलभराव से निजात, प्रशासन ने किया नई तकनीक का प्रयोग


राष्ट्रीय राजमार्ग पर बारिश के दौरान जलभराव की भारी समस्या देखने को मिलती है। कुछ देर की बारिश में सड़कें पानी में डूब जाते है। हाईवे पर सबसे ज्यादा खराब हालत, सेक्टर-28, ओल्ड फरीदाबाद, अजरौंदा चौक, बाटा चौक, बल्लभगढ़ बस अड्डा, जेसीबी चौक की बनी है।

थोड़ी बारिश में जलभराव से लोगों को यहां से निकलना भारी पड़ जाता है। चौराहों पर पानी भरा होने से गाड़ियां बीच में खराब हो जाती है। इससे यातायात बहुत ज़्यादा प्रभावित होता है। ऐसे में मजबूरीवश पुलिस कर्मियों को पानी में उतर कर व्यवस्था संभालनी पड़ती है।

फरीदाबाद के लोगों को मिलेगा हाईवे के जलभराव से निजात, प्रशासन ने किया नई तकनीक का प्रयोग


राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से हाईवे पर जलभराव वाली 10 जगहों को चिन्हित किया गया है। यहां सबसे ज्यादा पानी भरता है। प्रथम चरण में बाटा चौक है जहाँ पर एक तरफ के निर्माणाधीन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण पूरा कर लिया गया है, बाकी का काम जल्द शुरू किया जाएगा। अजरौंदा चौक दिल्ली की ओर जाने वाली साइड दो हार्वेस्टिंग सिस्टम का काम अभी जारी है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के निर्माण में तीन तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। कन्वेंशनल तकनीक, माइक्रो फिल्टर, बॉक्स तकनीक। अजरौंदा चौक पर बनाए जा रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में कन्वेंशनल टैंक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।

फरीदाबाद के लोगों को मिलेगा हाईवे के जलभराव से निजात, प्रशासन ने किया नई तकनीक का प्रयोग

इस तकनीक में बोल्डर, ग्रेवाल, चारकोल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन चार पांच परतों पर पानी छन कर जब जमीन में जाता है तो वह पीने लायक बन जाता है। इसके साथ ही जमीन में पानी की कमी पूरी होती है।

हाईवे के चौक-चौराहों को जलभराव से निजात दिलाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण शुरू करवा दिया गया है। इस बार लोगों को बरसात में जलभराव से नहीं जूझना होगा और यातायात भी प्रभावित नही होगा इससे साथ ही लोगों का समय भी बचेगा।

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