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फरीदाबाद में हज़ारों लोगों की जान से हो रहा है खिलवाड, सप्लाई के पानी में बह रहे हैं जीव जंतुओं के शव

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फरीदाबाद में पानी की किल्लत के चलते रोजाना लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसे शांत करने के लिए नगर निगम द्वारा पानी चलाने का आश्वासन दे दिया जाता है। वहीं जब पानी लोगों के घरों तक पहुँचता है तो वह इस्तेमाल करने योग्य नही होता है। पानी में गन्दगी और बदबु साफ तौर से देखी जाती है परंतु प्रशासन इसमें कोई सुधार नहीं कर रहा जिससे लोगों के जान को भी खतरा है।


आपको बता दें निगम ने लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के लिए कई बूस्टर टैंक बनाए हुए हैं, सेक्टर 25 स्थित जलघर से शहर का प्रमुख बूस्टर है। रैनीवेल से आने वाले पानी को यहां स्टोर करने के बाद एनआईटी और बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बूस्टरों में भेजा जाता है।

फरीदाबाद में हज़ारों लोगों की जान से हो रहा है खिलवाड, सप्लाई के पानी में बह रहे हैं जीव जंतुओं के शव

जलघर में बने वॉटर टैंक निगम की लापरवाही और भ्रष्टचार की कहानी बयां कर रहे हैं। टैंकों की छत पर करीब दो फुट मिट्टी की परत जमने से घास और झाडिय़ों का जंगल उग आया है। जिससे एक वॉटर टैंक की दीवार और लैंटर तक टूट गया है। जिससे बरसाती पानी के साथ जीव जंतुओं के शव भी टैंक में जा रहे हैं। और वही पानी लोगों के घरों तक पहुँचाया जाता है।

बता दें सेक्टर 25 में स्थित जलघर नगर निगम का सबसे पुराने और प्रमुख बूस्टरों में से एक है। यमुना किनारे स्थापित किये गए रैनीवेल के कुंओं से मैनलाइन के जरिये इस जलघर में पानी भेजा जाता है।

वहां बने बड़े बड़े वॉटर टैंकों में पानी को स्टोर करने के बाद एनआईटी 86 और बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में बूस्टर टैंकों में पानी भेजा जाता है, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण शहर का यह प्रमुख जलघर बुरी तरह दुर्दशा का शिकार हो चुका हैं।

आपको बता दें जलघर के ऊपरी हिस्से पर लगभग 2 फुट जितनी मिट्टी की परत जमा हो गई है।

यदि जलघर को बाहर से देखें तो स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके अंदर तो दूर की बात है कभी बाहरी हिस्से में भी सफाई करवाने की जरूरत महसूस नहीं की गई।

फरीदाबाद में हज़ारों लोगों की जान से हो रहा है खिलवाड, सप्लाई के पानी में बह रहे हैं जीव जंतुओं के शव

साफ सफाई के अभाव में अंडरग्राउंड वॉटर टैंकों की छतों पर एक से दो फुट मिट्टी की परत जम चुकी है। जिस पर घास और झाडिय़ों का जंगल उग चुके हैं। इन वॉटर टैंकों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह कोई कच्चा मैदान है या टैंक की छत।

नगर निगम द्वारा विकास कार्य तो जैसे तैसे करवा लिये जाते हैं, लेकिन इन विकास कार्यो का रख रखाव करवाने की कभी जरूरत महसूस नहीं की जाती। पानी जैसे महत्वपूर्ण मामले में भी नगर निगम के अधिकारी लापरवाही छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। नियमों के मुताबिक पानी स्टोर करने वाले अंडरग्राउंड अथवा ओवरहैड वॉटर टैंकों की साल में एक बार सफाई करवाना जरूरी होता है

लेकिन नगर निगम द्वारा कई सालों तक इन वॉटर टैंकों की सफाई नहीं करवाई जाती। इसी लापरवाही की भेट सेक्टर 25 जलघर के अंडरग्राउंड वॉटर टैंक चढ़ चुके हैं। सफाई के अभाव में करीब दो फुट की मिट्टी की परत जमी होने से इनकी दीवार और लैंटर बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं।

फरीदाबाद में हज़ारों लोगों की जान से हो रहा है खिलवाड, सप्लाई के पानी में बह रहे हैं जीव जंतुओं के शव

इसी वजह से पिछले दिनों अंडरग्राउंड वॉटर टैंक की दीवार और लैंटर का एक हिस्सा जर्जर होकर गिर गया। जिससे परिसर में भरने वाला बरसाती गंदा पानी सीधा इस वॉटर टैंक में जा रहा है। बरसाती पानी के साथ मृत जीव जंतुओं के शव टैंक में बहते हुए देखे जा सकते हैं।


नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का सिलसिला थम नहीं रहा है। अंडरग्राउंड वॉटर टैंक की दीवार और लैंटर को गिरे हुए कई दिन गुजर चुके हैं, लेकिन निगम अधिकारी इसकी सफाई और मरम्मत करवाने की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। वॉटर टैंक के भीतर बने ज्यादातर पिलर जर्जर हो जाने से उनके सरिये तक दिखाई दे रहे हैं।

ऐसे में पूरा का पूरा लैंटर तक गिर सकता है। लैंटर के टूटे हुए हिस्से और दीवार की मरम्मत करवाने की बजाए निगम अधिकारियों ने वहां तारों की फैंसिंग करवा दी है। ताकि कोई व्यक्ति उस तरफ जाकर हादसे का शिकार न हो जाए। उन्होंने टैंक के टूटे हुए हिस्से में जा रहे गंदे एवं बरसाती पानी को रोकने का कोई प्रबंध नहीं किया। ऐसे में इस गंदे पानी की आपूर्ति के कारण बीमारी भी फैल सकती है।

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