दिल्ली-मथुरा हाइवे पर लगातार हादसे हो रहे हैं। इनमें से अधिकतर की वजह वाहनों की तेज रफ्तार है। इस साल पूरे शहर में जनवरी से मई तक, यानी 5 माह में 236 सड़क हादसों में 90 लोगों की मौत हो चुकी है और 196 लोग घायल हो चुके हैं। इनमें से 84 हादसे नैशनल हाइवे पर हुए हैं, जिनमें 57 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ट्रैफिक पुलिस के चालान भी स्पीड पर नियंत्रण नहीं लगा पा रहे हैं।
दूसरी तरफ, हाइवे पर कहीं भी स्पीड लिमिट के लिए कोई साइनबोर्ड नहीं लगा है। ट्रैफिक विभाग के अधिकारी इसके लिए एनएचएआई को दोष देते हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस से लोगों की इस बात के लिए नोकझोंक होती है कि जब कहीं स्पीड लिमिट का बोर्ड लगा ही नहीं है, तो फाइन किस आधार पर काटा जा रहा है।
स्पीड लिमिट वाहन के हिसाब से अलग होगी
फरीदाबाद पुलिस की वेबसाइट के अनुसार नैशनल हाइवे पर बाइक बस व वहीं, कार के लिए फरीदाबाद में जहां हाइवे एलिवेटेड है, वहां स्पीड लिमिट 80 और जहां सड़क जमीन पर है, वहां 90 किमी प्रति घंटा है। लेकिन, लोगों का कहना है कि इसके बारे में वाहन चालकों को जानकारी ही नहीं है। ऐसे में दिल्ली मथुरा हाइवे पर तेज रफ्तार में वाहन चलते हैं।
बदरपुर बॉर्डर से सीकरी गांव तक हाइवे का 30 किमी हिस्सा फरीदाबाद में आता है। दिल्ली-आगरा हाइवे पर रोज लाखों वाहन गुजरते हैं। 2020 में हाइवे पर 122 हादसों में 60 मौतें हुईं और 100 लोग घायल हुए, जबकि अन्य सड़कों पर 367 हादसों में 135 मौतें हुई और 321 लोग घायल हो गए।
इसी तरह, 2021 में नैशनल हाइवे पर 117 हादसों में 53 मौतें और 97 घायल हुए, जबकि अन्य सड़कों पर 385 हादसों में 150 की जान गई और 334 लोग घायल हुए।
वहीं, इस साल मई तक एनएच पर ओवरस्पीड के चलते 84 सड़क हादसों में 57 लोग अपनी जान गंवा चुके है, जबकि शहर में कुल 236 सड़क हादसों में 90 लोगों की मौत हुई है और 196 लोग घायल हुए है।
एसीपी ट्रैफिक विनोद कुमार ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस ने एनएचएआई प्रबंधन को पत्र लिखकर रफ्तार से संबंधित संकेतक लगाने का आग्रह किया है। ट्रैफिक पुलिस ने हर 500 मीटर पर दोनों ओर बोर्ड लगाने की मांग की है।
ताकि वाहन चलाते समय चालकों को रफ्तार के बारे में जानकारी मिलती रहे। इस कदम से चालक जागरूक होंगे और हादसों में कमी आएगी। अभी तक हाइवे के किनारे कहीं पर भी स्पीड लिमिट के लिए संकेतक नहीं लगे हैं।