स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत सभी विकास कार्यों के एस्टीमेट और बिल की जांच होगी। मुख्य कार्यकारी. अधिकारी डा. गरिमा मित्तल ने इस बाबत अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी को इसकी जांच कराकर सप्ताहभर में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
समाजसेवी विष्णु गोयल ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भेजी शिकायत में बताया है कि पेरीफेरल रोड का वर्क अलाट 2018 में हुआ था। करीब 109 करोड़ इसकी अनुमानित लागत थी।
इसका काम पूरा नहीं किया गया।अब नाले, फुटपाथ व इंटरलाकिंग टाइलों के बचे हुए काम को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत किया जा रहा है। इसमें गड़बड़ी की आशंका है।
इन सभी काम के एस्टीमेट, बिल की जांच होगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी। सेंक्टर-21ए डब्ल्यूसीआरए के प्रधान गजराज नागर भी घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल करने की बाबत शिकायत दर्ज करा चुके हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना केंद्र सरकार की है। इसलिए अब इसकी निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रही है।
इसकी जांच स्टेट विजिलेंस भी कर रही है। विधायक नीरज शर्मा भी इस मामले को उठा चुके हैं। इसके अलावा अनखीर चौक से बड़खलफ्लाईओवर तक सड़क दो बार टूट चुकी है।
दो करोड़ की लागत से बनाए गए 10 स्मार्ट टायलेट आज भी कंडम हैं। निवर्तमान उपमहापौर मनमोहन गर्ग ने ये मामला कई बार उठाया था ।
सेक्टर-21ए में इंटरलाकिंग टाइलें घटिया लगाई गई हैं, लगाने के कुछ दिन बाद खराब हो गई। गांधी कालोनी के सामने पेरीफेरल रोड अधूरी पड़ी है।