कोरोना की दवा तैयार करने में दुनिया भर की कई कंपनियां लगी हुई है। लेकिन अब तक इसका कोई सटीक इलाज सामने नहीं आ पाया है । पहले से उपलब्ध कुछ दवाओं का इस्तेमाल से भी कोरोना का इलाज किया जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ पिछले दिनों फैबिफ्लू, डेक्सामेथासोन जैसी कुछ दवाओं को भी डॉक्टरों की निगरानी में कोरोना के इलाज में इस्तेमाल करने की अनुमति मिली है।
दुनिया भर में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, रूस समेत दुनिया के कई देश इस बीमारी से प्रभावित है। इसी दौरान कोरोना वैक्सीन की भी खोज जारी है।
भारत समेत कई देशों के वैज्ञानिक कोरोनावायरस की वैक्सीन को बनाने में जुट चुके हैं।
रूस की फार्मा कंपनी आर-फार्मा ने कोरोनावायरस के इलाज के लिए नई दवा तैयार कर ली है। यह एंटीवायरल है। इसका नाम कोरोनाविर रखा गया है। क्लीनिकल ट्रायल के बाद इस दवा को करोना के मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत मिल गई है।
कोरोनाविर दवाई ऐसे रोकती है संक्रमण की रफ्तार
रूस के इस कंपनी ने इस दवाई को लेकर दावा किया है कि कोरोनाविर देश की पहली ऐसी दवा है, जो कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए पूरी तरह कारगर साबित हो गई है। उन्होंने बताया कि- दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इसके संक्रमण की रफ्तार रोकने को तमाम तरह के उपाय हो रहे हैं,लेकिन इस समस्या की जड़ तो कोरोना वायरस ही है।
संक्रमित मरीजों के शरीर में जाने के बाद यह दवा कोरोना की संख्या को बढ़ने से रोक देती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आर-फार्म के मेडिकल निदेशक डॉ. मिखायल सोमसोनोव ने कहा है कि इस दवा का कई देशों में क्लीनिकल ट्रायल हुआ है, जिसमें ये साबित हुआ है कि कोरोनाविर वायरस के रेप्लिकेशन और तेजी से फैल रहे संक्रमण को रोकती है।
सेकेनोफ़ यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर क्लीनिकल रिसर्च ऑन मेडिकेशन की प्रमुख इलीना स्मोलयारचुक ने बताया है की, “रिसर्च पूरा कर लिया गया है और इससे साबित हुआ है कि वैक्सीन सुरक्षित है |
फिलहाल भारतीय बाजार में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए दवा मौजूद है। ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स कंपनी ने एंटीवायरल दवा फेविपिराविर को अपग्रेड कर फैबिफ्लू नाम से यह दवा बाजार में उतारा है। यह दवा कोरोना के शुरुआती मरीजों के लिए काफी लाभदायक साबित हुई है।
भारत में भी प्रथम कोरोना वैक्सीन तैयार
वॉलंटियर्स को 15 जुलाई और 20 जुलाई को डिस्चार्ज कर दिया जायेगा.” भारत में रूस के दूतावास ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए इस बात की जानकारी दी है की, इसे कोविड-19 के खिलाफ दुनिया की पहली वैक्सीन भी कहा जा सकता है |
यूनिवर्सिटी से डिस्चार्ज किए जाने के बाद वॉलंटियर्स को निगरानी में रखा जायेगा | इस यूनिवर्सिटी में जिस वैक्सीन का परीक्षण किया गया है वह पहले 18 जून को 18 वॉलंटियर्स के एक समूह को दी गई जबकि वॉलंटियर्स के दूसरे समूह को यह वैक्सीन 23 जून को दी गई थी |
भारत में भी प्रथम कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली गई है और यह ट्रायल के चरण में है भारत के तीन मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन्स ने मिल कर इस कार्य में सफलता हासिल कर ली है इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (National Institute of Virology) और भारत बायोटेक के संयुक्त प्रयास से कोवैक्सीन नाम की एक वैक्सीन को तैयार किया गया है |
Written by- Prashant K Sonni
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