यूपीएससी क्लियर करना बहुत बड़ी उपलब्धि की श्रेणी में आता है और जब कोई महिला इसे क्लियर करे तो समाज का सिर गर्व से ऊपर उठ जाता है पर इस कहानी में खास बात तो ये है कि जिस महिला ने यूपीएससी पास की गई वो अपने पूरे गांव से पहली इकलौती पहली महिला आईएएस अधिकारी बनी है। चलिए जानते है कौन है ये हुनहार महिला और क्या है इनकी सक्सेस स्टोरी…
पहले प्रयास में भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के चयनित हुई लेकिन संतुष्ट नही
24 वर्षीय ममता अपने पूरे गांव में आईएएस बनने वाली पहली महिला बन गई हैं। ममता ने यूपीएससी की परीक्षा में पांचवीं रैंक हासिल की है। दरअसल, ममता की यह सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि उन्होंने साल 2020 में भी यह परीक्षा दी थी।
लेकिन उस वक्त उन्होंने 556 रैंक हासिल की थी। सिलेक्ट होने के बाद वह भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के लिए प्रशिक्षण लेने लगीं। लेकिन ममता इतने से ही सन्तुष्ट नहीं रहीं। उन्हें यह मंजूर नहीं था। इसलिए उन्होंने फिर से प्रयास करने का सोचा।
दूसरे प्रयास में 5वी रैंक के साथ बनी आईएएस, इससे पहले किया था एसएससी
जिसके बाद में ममता ने अधिक पढ़ाई की और ऑल इंडिया लेवल पर यूपीएससी में पांचवी रैंक प्राप्त की। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए ममता यादव 10 से 12 घंटे पढ़ाई करती थीं। जबकि पहले प्रयास में वो सिर्फ 8 से 10 घंटे ही पढ़ाई करती थी। ममता की सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने अधिकतर सेल्फ स्टडी की।
यूपीएससी से पहले ममता एसएससी की परीक्षा भी पास कर चुकी हैं। ममता यादव अपने गांव की पहली महिला हैं, जो सिविल सर्विसेज में शामिल हुईं हैं। यही वजह है कि उनके परिवार के साथ ही गांव का बच्चा-बच्चा उनके पास होने से खुश है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज के टॉपर रह चुकी है ममता यादव
आईएएस ममता यादव ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से पूरी की है। ममता पढ़ाई में काफी होशियार रही हैं। ममता की पूरी पढ़ाई दिल्ली में ही हुई है और वे दिल्ली ही डीयू (दिल्ली यूनिवर्सिटी) के हिंदू कॉलेज से पास आउट हैं। यहां तक कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से टॉप किया था।
उसके बाद से ही ममता ने आईएएस अधिकारी बनने की दिशा में प्रयास करना शुरू किया और यूपीएससी की तैयारी करने लगीं। जिसके बाद उन्हें आखिरकार उनकी मनचाही सफलता हासिल हो गई। ममता अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु, पिता, माता और परिवारजनों को देती है।
गांव की पहली महिला आईएएस अधिकारी बनी, परिवारजन बेहद खुश
बसई गांव निवासी ममता यादव के पिता अशोक यादव एक निजी कंपनी में काम करते हैं और उनकी मां सरोज यादव गृहिणी हैं। ममता की मां सरोज का कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनकी बेटी इतना आगे जाएगी। उनके पिता अशोक अपनी बेटी की सफलता का श्रेय ममता की मां को देते हैं।
उनके पिता बताते हैं कि ममता ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। खास बात यह है कि वे अपने गांव की पहली ऐसी लड़की है जिसने इतनी पढ़ाई की और यूपीएससी में इतनी बड़ी सफलता हासिल की और शिक्षा की क्षेत्र में इतना आगे गई।