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भारत कर रहा हैं चीनी दवा सामग्री पर निर्भरता कम करने का प्रयास

भारत अब एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट(एपीआई) और अन्य सामग्रियों को अब अमेरिका, इटली, सिंगापुर, होंग कोंग जैसे देशों से आयात करने का विचार कर रहा है। यह प्रयास घरेलू क्षमता मे तेज़ी लाने के लिए है, जिससे चीन पर निर्भरता कम होगी, सरकार के दो अधिकारियों ने बताया।

चीन पर कितनी निर्भरता है?

अधिकारियों ने बताया कि भारत की फार्मास्युटिकल आयात मे 63% से ज़्यादा एपीआई है और उसमे से लग-भग 70% चीन से आती हैं। ऐसी महत्वपूर्ण सामग्री के लिए किसी एक देश पर निर्भरता राष्ट्र हित मे नही है, इसलिए इसकी सोर्सिंग मे विविधता लाने और घरेलू क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है।

भारत कर रहा हैं चीनी दवा सामग्री पर निर्भरता कम करने का प्रयासभारत कर रहा हैं चीनी दवा सामग्री पर निर्भरता कम करने का प्रयास

एपीआई और अन्य जरूरी केमिकल कंपाउंड दवाई या दवाई का मिश्रण बनाने मे बहुत आवश्यक होते है। विशेषज्ञों के अनुसार, जहाँ भारत एक तरफ जेनरिक दवाइयों के प्रमुख एक्सपोर्टर्स मे से एक है, वही दूसरी तरफ कच्ची सामग्रियों(एपीआई) के एक्सपोर्ट के लिए चीन दुनिया मे नंबर 1 स्थान पर है। भारत लगभग पांच दर्जन एपीआई और अन्य संबंधित सामग्री का आयात करता है।

भारत का फार्मासुटीकल इम्पोर्ट 2018-19 मे ₹76,303.53 करोड़ था और एक्सपोर्ट ₹1,40,961 था।

निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए है?

अधिकारियों ने बताया कि “भारत सरकार ने ₹3,000 करोड़ मे 3 बल्क सेक्टर स्थापित करने का फैसला किया है और साथ ही साथ ₹6,940 करोड़ के प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव पैकेज को भी मंज़ूरी देदी है। हालांकि दोनों योजनाओ को असर दिखाने मे 5-8 साल लगेंगे। इस बीच, हमे कुछ जल्द काम करने वाले उपाय खोजने होंगे, प्रमुख दवाओं के लिए सामग्री की सोर्सिंग हमारी प्रमुख चिंताओं मे से एक है जब कोविड-19 महामारी ने चीन को जकड़ लिया जिसके कारण उस देश से इम्पोर्ट पूरी तरह रुक गया”।

किसी दूसरे अफसर ने बताया कि चीन के साथ बिगड़ते संबंध जल्दी से विकल्प खोजने का एक और कारण है क्योंकि दवाओं की उप्लब्धता राष्ट्रीय हित का विषय है।

इस वर्ष जून मे पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी मे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच तनाव शुरू होगया था जिसमे 20 भारतीय सेना के जवान और अनिर्दिरष्ट संख्या मे चीनी मारे गए थे।

भारतीय फार्मास्युटिकल एलाइंस(आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा है कि ” सभी देश(चीनी एपीआई) मे विविधता लाने की कोशिश कर रहे है और हमने पहले ही वैकल्पिक स्रोतो को खोजने के लिए अध्ययन शुरू कर दिया है”।

Written by- Harsh Datt

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh
Tags: China

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