आखिर किस नीले शख्स को रावण ने अपने पैरो तले दबा रखा था? क्या आप जानते है वो शख्स देवताओं में से एक था?

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 आखिर किस नीले शख्स को रावण ने अपने पैरो तले दबा रखा था? क्या आप जानते है वो शख्स देवताओं में से एक था?

दिवाली की धूम हर जगह फैली है लेकिन इससे पहले सब ने दशहरा को बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया था। इस साल दिल्ली के रामलीला में रावण का दहन प्रसभास के हाथों हुआ था। विजयदशमी के पर्व को भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध यानि अधर्म पर धर्म की जीत के तौर पर मनाया जाता है। यह त्योहार भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृति विरासत से जुड़ा है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाया जाता है। लेकिन आज हम आपको आपको दशहरा के बारे में नहीं बल्कि रावण के बारे में बताने जा रहे हैं रावण ने अपने पैरों तले किस नीले आदमी को दबा रखा था आज हम इसका खुलासा करेंगे।

कौन है रावण के पैरों के नीचे नीला आदमी

मुख्य तौर पर दशहरे के पर्व को रावध के वध के तौर पर याद किया जाता है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में रावण दहन किया जाता है। लेकिन रावण के सिंहासन को जब कभी भी दिखाया जाता है तो उसके सिंहांसन के पास कोई लेटा रहता है। रावण के पैरो के नीचे एक नीला शख्स लेता रहता है।

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जिसके देखकर हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह शक्स कौन है जो रावण के पैरों के नीचे लेटा है। लोगों में के मन में यह सवाल भी उठता है कि आखिर यह व्यक्ति कौन है रावण के सिंहासन के पास लेटा रहता है, उसके ऊपर रावण अपना पैर रखे रहता है।

क्यों किया था रावण ने उस नीले आदमी को कैद?

प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण को ज्योतिष शास्त्र का अच्छा खासा ज्ञान था। उसकी इच्छा थी कि जब उसका बेटा पैदा हो तो कोई भी देवी-देवता उसके प्राण ना ले सके। इसलिए जब मंदोदरी गर्भवती थी और मेघनाद को जन्म को जन्म देने वाली थी तो रावण ने सभी ग्रहों को सही स्थिति में रहने को कहा।

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वह चाहता था कि सभी ग्रह सुख और उच्च की स्थिति में रहे ताकि उसका बेटा दीर्घायु , महापराक्रमी, कुशल योद्धा और तेजस्वी पैदा हो। अब रावण के भय के चलते सभी ग्रह सही स्थति में आ गए। लेकिन शनिदेव रावण से नहीं डरते थे। उन्होंने अपनी स्थिति सही नहीं की।

आज्ञा का पालन ना करने पर रावण ने तोड़ डाला शनिदेव का पैर

रावण ये बात अच्छे से जानता था कि शनिदेव उसकी बात टाल सकते हैं। इसलिए उसने शनिदेव को बलपूर्वक अपने पैर के नीचे दबा लिया। और यह आदेश दिया कि वह अपनी स्थिति सही रखे ताकि उनके पुत्र की आयु अन्नत रहे। लेकिन शनिदेव ने भी चालाकी की। उन्होंने मेघनाद के जन्म के समय चुपके से अपनी दृष्टि वक्री कर ली।

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इससे मेघनाद दीर्घायु पैदा नहीं हुआ। जब रावण को इस बात की भनक लगी तो वह बहुत नाराज हुआ। उसने शनिदेव को उसकी आज्ञा का उल्लंघन करने की सजा दी। उसने ब्रह्मदंड की सहायता से शनिदेव पर प्रहार किया। इस प्रहार ने शनिदेव का एक पैर तोड़ दिया। फिर रावण सदैव शनिदेव को अपने पैरों के नीचे रखने लगा।

कैसे और किसने करवाया शनिदेव को मुक्त?

शनिदेव के मुक्त होने की कहानी है कि हनुमान जब लंका में गए थे, तब उन्होंने लंका दहन के वक्त शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त करवाया था। इससे पहले नारद मुनि ने रावण को अपनी बातों में फंसाकर शनिदेव को जेल में शिफ्ट करवा दिया था।

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लेकिन रावण ने शनी को कारागृह में डाल दिया और जेल के द्वार पर इस प्रकार शिवलिंग लगा दिया कि उस पर पांव रखे बिना शनि देव भाग ही ना सके। इसके बाद हनुमान जी ने लंका आकर शनि देव को अपने सर पर बिठाकर मुक्त कराया था। वैसे यह पहले से वरदान मिल चुका था कि शनिदेव को हनुमान जी मुक्त करवाएंगे।

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