इस मंदिर की काली माता को निकलता है इंसानों से भी ज्यादा पसीना पंखा, कूलर भी नही करता माता के सामने काम

0
529
 इस मंदिर की काली माता को निकलता है इंसानों से भी ज्यादा पसीना पंखा, कूलर भी नही करता माता के सामने काम

कई बार आंखों के सामने कुछ ऐसा होता है, जिसे देखकर अपनी ही आंखों पर भरोसा नहीं होता। ऐसा ही कुछ लोगों के साथ तब हुआ जब एक मंदिर में एसी बंद होते ही काली माता को पसीना आने लगा। ये कोई पहला मौका नहीं था बल्कि एसी के बंद होते ही काली मां को बार बार पसीना आता है। ये दृश्य लोगो को ये सोचने में मजबूर करता है की क्या ऐसा संभव है? भगवान का एक ऐसा ही चमत्कार जबलपुर के सदर स्थित प्राचीन काली मंदिर में देखने को मिलता है।

600 साल पुराना है माता का मंदिर

जबलपुर के सदर स्थित प्राचीन काली मंदिर में लगी काली माता की मूर्ति गोंड शासनकाल के समय की है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 600 साल पुराना है। इस मंदिर की भव्यता और नक्कासी देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।

इस मंदिर की काली माता को निकलता है इंसानों से भी ज्यादा पसीना पंखा, कूलर भी नही करता माता के सामने काम

यहां माता के चमत्कार के दर्शन करने के लोग दूर-दूर से आते हैं। नवरात्रों पर यहां भक्तों का जमावड़ा लगता है। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से माता के दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

एसी बंद होते ही जाग जाती है माता

लोग बताते हैं कि आम दिनों में तो सब ठीक रहता है पर गर्मी में माता को पसीना खूब निकलता था, जब कभी माता के वस्त्र बदले जाते थे तो वह गर्मी के कारण भीगे हुए होते थे। जिसके बाद भक्त समझे कि मां को गर्मी लगती है, इसलिए उनको पसीना निकल रहा है।

इस मंदिर की काली माता को निकलता है इंसानों से भी ज्यादा पसीना पंखा, कूलर भी नही करता माता के सामने काम

बाद में भक्तों ने तुरंत ही माता के पास कूलर रखा और फिर ठंडक के लिए एसी लगवा दिया, जिसके बाद से एसी माता के पास ही लगा हुआ है और 24 घंटे चलता रहता है। कहा जाता है कि जब कभी एसी बन्द हो जाता है तो माता के शरीर से पसीना निलकने लगता है और वह जाग जाती है।

ऐसे हुआ माता के मंदिर का निर्माण

मंदिर पुजारिया ने बताया कि, माता काली की इस मूरत को लेकर यह मान्यता है कि, रानी दुर्गावती के शासनकाल में मदन महल पहाड़ा पर बने एक मंदिर में इस प्रतिमा को स्थापित किया जाना था। इसके चलते शारदा देवी की प्रतिमा के साथ काली माता की प्रतिमा को लेकर एक काफिला मंडला से जबलपुर के रवाना हुआ। जैसे ही, वह काफिला जबलपुर के सदर इलाके में पहुंचा तो माता काली की प्रतिमा को लेकर चलने वाली बैलगाड़ी अचानक रुक गई।

इस मंदिर की काली माता को निकलता है इंसानों से भी ज्यादा पसीना पंखा, कूलर भी नही करता माता के सामने काम

उसी रात काफिले में शामिल एक बच्ची को सपने में काली माता के दर्शन हुए, जिन्होंने कहा कि उनकी इस प्रतिमा को यहीं स्थापित किया जाए। इसके बाद काफिले में शामिल लोगों ने इसे देवी का हुक्म मानते हुए इलाके के तालाब के बीचो-बीच एक छोटी सी जगह पर स्थापित कर दिया, जहां बाद में मंदिर की स्थापना की गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here