सूरज की किरणों से बनी ये बेटी युवाओं के लिए मिसाल, 1 लाख से 800 करोड़ बनाकर बनी सेल्फमेड करोड़पति

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 सूरज की किरणों से बनी ये बेटी युवाओं के लिए मिसाल, 1 लाख से 800 करोड़ बनाकर बनी सेल्फमेड करोड़पति

हर इंसान के जीवन का एक लक्ष्य होता है की उसे ये बनना है या ये करना है इसके लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा देते है। कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद सफलता को हासिल कर पाते है तो कई लोग असफल ही जिंदगी गुजारने पर मजबूर हो जाते है। लेकिन हमारे भारत की बेटी ने बिना किसी डिग्री के इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया की हर कोई इन्हें सलाम ठोकता है।

राजस्थान की है हुनहर बिटिया

सूरज की किरणों से बनी ये बेटी युवाओं के लिए मिसाल, 1 लाख से 800 करोड़ बनाकर बनी सेल्फमेड करोड़पति

हम बात कर रहे है राजस्थान के छोटे से गांव डूंगरपुर की निधि गुप्ता की। एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा लेने वाली निधि के पिता राजस्थान वन विभाग में साधारण कर्मचारी हैं। दरअसल साल 2011 में निधि ने अपने भाई के साथ मिलकर खुद का एक प्रोजेक्ट शुरू किया। हालांकि इस योजना को लेकर निधि के पास उतनी पूंजी तो नहीं थी लेकिन उनका हौसला बुलंद था।

2011 ने रखी कंपनी की नीव

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निधि गुप्ता ने 2011 में अपने भाई के साथ मिलकर एक छोटा सा कारोबार 1 लाख रुपए में शुरू किया। आज जिसका टर्नओवर लगभग 1000 करोड़ का है। राजस्थान में सोलर एनर्जी पर काम करने के लिए निधि गुप्ता ने जो संघर्ष किया आज उसका फल उनको मिल रहा है और सोलर एनर्जी के क्षेत्र में किए गए कई सारे काम के उनको अवॉर्ड भी मिले हुए हैं।

1 लाख से शुरू किया कारोबार

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मात्र 1 लाख रुपए की पूंजी के साथ उन्होंने 4 बीघा जमीन में 250 किलो वाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट बीकानेर में लगाया था | निधि गुप्ता का कहना है कि वह इतना सीधा और आसान काम नहीं था | इस प्रोजेक्ट में सबसे मुश्किल काम था दस्तावेज तैयार करके सरकारी अनुमति प्राप्त करना |

उचित योजना से किया काम और नाम

कारोबार को लाभप्रद बनाने के लिए निधि ने छोटे से लेकर मध्य दर्जे तक के व्यवसायी को अपना ग्राहक बनाया। सोलर कारोबार पर रिसर्च के दौरान निधि ने पाया कि लोग कर में छूट लेने के लिए सौर प्रोजेक्ट में निवेश करने की चाहत रखते हैं। और फिर उसने इसी को अपने निवेश का मुख्य स्रोत बनाया।

निधि बताती हैं कि अगर हमारे पास किसी प्रोजेक्ट के लिए 10 निवेशक भी हों तो हम उनकी ओर से जमीन खरीदते हैं और निवेशकों के बीच उसका बराबर बंटवारा कर देते हैं।

कंपनी कैसे करती है काम?

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सोलर प्रोजेक्ट में निवेश की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यदि कोई 6 करोड़ रूपये के एक मेगावाट के प्रोजेक्ट में निवेश कर रहा है तो 4 साल के भीतर उसे अपने निवेश की रकम वापस मिल जाती है। इतना ही नहीं उसके बाद अगले 25 वर्षों तक बिजली उत्पादन से होने वाली आय में भी उन्हें हिस्सा मिलता है।

दिन रात मेहनत कर बनाया सफल साम्राज्य

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अपने बड़े भाई राहुल और इस बिजनेस को शुरू करने के उनके संघर्षों के बारे में बात करते हुए वो बताती हैं कि कैसे वे यहां-वहां यात्राएं करते रहते हैं और दिन-रात काम करते हैं। ऑफिस में बाकी कर्मचारियों के सामने वे उन्हें “राहुल सर” कहती हैं और घर पर भाई। कठिन मेहनत का ही नतीज़ा है कि आज निधि गुप्ता सेल्फ मेड करोड़पति है और युवाओं के लिए एक मिसाल है।

2 करोड़ के टर्नओवर से 800 करोड़ के शिखर तक

सूरज की किरणों से बनी ये बेटी युवाओं के लिए मिसाल, 1 लाख से 800 करोड़ बनाकर बनी सेल्फमेड करोड़पति

कंपनी को पहले साल में ही प्रोजेक्ट का टर्नओवर 2 करोड़ हो गया था| हर साल उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हुए काम किया और प्रोजेक्ट का टर्नओवर 2013 में 70 करोड़ पर पहुंच गया| साल 2013 में ही है सबसे बड़े भारत के सौर पावर में से एक बन गया | और गजनी में लगभग 300 एकड़ के क्षेत्र में स्थापित किया गया | इस प्रोजेक्ट में अनेको बाधाएं भी आई लेकिन इन बाधाओं को पार करते हुए 800 करोड़ का सालाना कंपनी का टर्नओवर हो चुका है |

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