हम जीवन में सदैव मेहनत करते हैं तथा हमेशा यह प्रयत्न करते रहते हैं कि हमारा समाज तथा हमारा परिवार हमसे सदैव प्रसन्न रहे, परन्तु ऐसा होता नहीं है। उसका सबसे बड़ा कारण है कि प्रसिद्धि, क्योंकि जब तक हमें जीवन में प्रसिद्धि नहीं मिलती, हमारा कोई सम्मान नहीं करता है।
दुनिया सर झुकाएगी तो ही परिवार भी हमें सम्मान देगा अन्यथा वो कहावत तो सुनी ही होगी, घर की मुर्गी दाल बराबर। और यदि आप प्रसिद्ध है तो लक्ष्मी भी आपके जीवन में आने को आतुर हो उठती है।
इस दिवाली आप प्रसिद्धि पा सकते है साथ है अपनी हर मनोकामना भी पूर्ण कर सकते। आपको बस इसके लिए दिवाली की रात एक मंत्र का जाप करना है। निश्चित रही यदि माता प्रसन्न हुई तो आपकी मनोनामना जरूर पूरी होगी साथ ही घर में सुख समृद्धि और लक्ष्मी का आगमन होगा। आपको बस मातंगी देवी की मातंगी मंत्र तंत्र का जाप करना है फिर क्या निश्चित रहे फल जरूर मिलेगा।
मातंगी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इंद्र जाल और जादुई शक्ति में देवी पारंगत हैं। देवी प्रसन्न होने पर भक्तो की समस्त मनोकामनाएं पूरी करती हैं। देवी का सम्बन्ध कई प्रकार की तंत्र क्रियाओं और विद्याओं से हैं। ऐसा कहा जाता हैं की देवी मात्र वचन द्वारा ही तीनो लोको में समस्त प्राणियों तथा अपने घोर शत्रु को भी वश में करने में समर्थ हैं। माँ का आशीर्वाद आप मातंगी पूजा संपन्न करा प्राप्त कर सकते हैं।
मतंग जो की शिव का ही नाम है और इनकी शक्ति मातंगी है। मातंगी दस महाविद्याओं में से नौवीं विद्या हैं। इन देवी का वर्ण श्याम हैं। मातंगी देवी चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण करती हैं। देवी मातंगी सम्मोहन विद्या एवं वाणी की अधिष्ठात्री हैं।
मातंगी पूजा से आप भौतिक जीवन को भोगते हुए आध्यात्म की उँचाइयो को छू सकते है ।
मातंगी पूजा से जातक को पूर्ण गृहस्थ सुख ,शत्रुओ का नाश, भोग विलास,आपार सम्पदा,वाक सिद्धि, कुंडली जागरण ,आपार सिद्धियां, काल ज्ञान ,इष्ट दर्शन आदि माँ के आशीर्वाद से प्राप्त होते है।
मातंगी साधना के लिए मातंगी यंत्र की आवश्यकता होती है, जिसे बाजार से खरीदा जा सकता है। यह यंत्र ताम्र या अष्टधातु का बना होना चाहिए। यदि क्षमता हो तो सोने या चांदी से बना हुआ भी ले सकते हैं। इसके बाद दीपावली की रात्रि में पूर्वाभिमुख होकर लाल कंबल का आसन बिछाकर बैठ जाएं। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर यंत्र की स्थापना करें। पूजन करें। फिर साधना के लिए मातंगी ध्यान करें-
ध्यान मंत्र-
श्यामांगी शशिशेखरान्ति्रनयनां रत्नसिंहासनस्थिताम् ।
वेदैव्र्बाहुदण्डैरसि खेटक पाशांकुशधराम् ।।
मातंगी मंत्र-
ऊं ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा
इस मंत्र की 11 माला जप करें। माला स्फटिक या रुद्राक्ष की ले सकते हैं।
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