यूपी की बेटी और हरियाणा के फरीदाबाद जिले की बहू डा. अरुणिमा सिन्हा की इस जिद ने उन्हें एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। आपको बता दें कि डा. अरुणिमा सिन्हा वहीं महिला है,जिन्होंने दिव्यांग होने के बाद भी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था।क्योंकि वह केवल शरीर से दिव्यांग है,हौसलों से नहीं।
लेकिन इस बार वह किसी और कारण से ही चर्चा में है, दरअसल शादी के 4 साल बाद जब उनकी मां बनने की सुख की घड़ी पास आई तो,उन्हें गुरुग्राम,दिल्ली,लखनऊ के नामी अस्पताल और फरीदाबाद के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने यह कहते हुए सामान्य डिलीवरी कराने से इंकार कर दिया था कि उनकी प्रेगनेंसी एक हाई रिस्क प्रेगनेंसी केस है।
जब इस मुश्किल की घड़ी में डा.अरुणिमा और उनके घरवालों के हाथ निराशा लगी तो, अंत में उन्होंने फरीदाबाद के जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल यानि कि बीके अस्पताल के सीएमओ डा. विनय गुप्ता व महिला रोग विशेषज्ञ डा. प्रोनिता अहलावत से संपर्क किया। जिसके बाद उनकी आस पूरी हुई और उन्होंने नॉर्मल डिलीवरी के साथ एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। ऐसे में उन्होंने अपनी एक और जिद पूरी करके ही सांस ली।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डा. अरुणिमा सिन्हा
विश्व की पहली दिव्यांग पर्वतारोही है। उन्होंने अपने बुलंद हौसले के साथ 2013 में माउंट एवरेस्ट की चोटी छुई थी।
वैसे तो वह लखनऊ की बेटी हैं लेकिन 2018 में उनकी शादी तिगांव विधानसभा क्षेत्र के गांव ताजुपुर के गौरव सिंह के साथ हुई थी जोकि राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज हैं। इसी वजह से अब वह पूरे फरीदाबाद की बहू हैं।
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