क्या आप जानते है फरीदाबाद में सड़क बनने की बजाय 62 लाख रुपए केवल सड़क की मरम्मत में खर्च किए जा रहे है। यदि अधिकारी मुख्यमंत्री की घोषणाओं को गंभीरता से लेते तो कुछ माह बाद बनने जा रही सड़क की मरम्मत पर 62 लाख रुपए खर्च नही करना पड़ता। यदि घोषणा के तहत समय पर सड़क बन जाती तो मरम्मत कार्य का पैसा बच जाता। आखिर क्या करे इन सोए हुए अधिकारियों का जो फरीदाबाद का विकास और पैसा दोनो डूबा रहे है।
चार लेन में बनने थी सड़क
यह स्थिति बल्लभगढ़-तिगांव मांझावली मुख्य मार्ग की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मार्च माह में तिगांव में आयोजित रैली में विधायक राजेश नागर के आग्रह पर इस सड़क को चार लेन करने की घोषणा की थी। यह सड़क 62 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जानी है। अभी तक इस घोषणा के तहत बजट को ही मंजूरी नहीं मिली है।
मिल जाता तो मरम्मत कार्य पर होने वाले खर्च से 62 लाख रुपये बच जाते। इसी कारण मजबूरन अधिकारियों को सड़क की मरम्मत का ठेका छोड़ना पड़ा। जानकारी के अनुसार इससे पहले भी इस सड़क की मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन नतीजा मरम्मत कार्य ठीक से नहीं होने के कारण सड़क कुछ समय बाद फिर से जर्जर हो जाती है।
मंझावली पुल से सीधी कनेक्टिविटी
यह बल्लभगढ़ से मंझावली पुल तक जाने वाली मुख्य सड़क है जो तिगांव से होकर गुजरती है। आगरा नहर से मंझावली तक 13 किलोमीटर सड़क को चार लेन बनाया जाना है। क्योंकि मंझावली पुल अगले साल में शुरू हो जाएगा। इसके बाद इस सड़क पर वाहनों का दबाव और बढ़ जाएगा।
सड़क की स्थिति खराब
चार लेन होने से ट्रैफिक सुचारू रहेगा। इसलिए मुख्यमंत्री के अनुमति देने के बाद भी अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा यह रहा कि अब तक इस सड़क का बजट स्वीकृत नहीं हो सका है।
पूरा 13 किलोमीटर लंबा रास्ता जर्जर है। गड्ढे इतने अधिक हैं कि वाहन चालक हिचकोले खाते हुए निकल जाते हैं। कई बार सड़क हादसे हो चुके हैं। लोक निर्माण विभाग ने पिछले साल भी इस सड़क की मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए थे।
बजट मंजूरी के बाद भी काम शुरू नहीं
फरीदाबाद-तिगांव मार्ग का भी यही हाल है। इस सड़क को 27 करोड़ रुपये की लागत से चार लेन बनाया जाएगा। इसके लिए बजट भी मंजूर कर लिया गया है। वन विभाग से मौखिक अनुमति आ गई है। लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया।
वाहन चालक जर्जर सड़क से परेशान हैं। विधायक राजेश नागर का आवास व कार्यालय इसी सड़क पर है। इसलिए विभागीय अधिकारी अब मलबा डालकर गड्ढों को भरने में लगे हैं। वरना आमजन तो शिकायतें करके ही परेशान है कोई सुनवाई और समाधान नहीं। अगर इस सड़क का काम भी समय से शुरू हो जाता तो मलबे के रूप में खर्च होने वाला पैसा बच जाता।