सेक्टर-12 स्थित एचएसवीपी कन्वेंशन सेंटर में हुई जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक में सीएम मनोहर लाल के नहीं पहुंचने से शिकायतकर्ता प्रशासन से मायूस थे।बैठक के दौरान अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते और लोगों की शिकायतों का निवारण करते नजर आए। ऐसे में उन्हें बिना सुने खाली हाथ लौटना पड़ा। जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक बुधवार को एचएसवीपी कन्वेंशन सेंटर में हुई। जिसमें 14 मुकदमे रखे गए। इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहरलाल को सुनवाई में शामिल होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।
बैठक में कोई फैसला नहीं निकला
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक ऐसे में बैठक की अध्यक्षता संभागायुक्त विकास यादव ने की, उन्होंने एक-एक कर सभी शिकायतों को सुना लेकिन कई शिकायतकर्ता उनके फैसले से संतुष्ट नहीं थे। इस दौरान बैठक में उपस्थित नहीं होने वाले शिकायतकर्ताओं की शिकायतों को बिना उनका पक्ष सुने निरस्त कर दिया गया।
बैठक में अधिकांश मामले नगर निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), एनएचएआई, सिंचाई विभाग और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संबंधित थे। अधिकारी समस्याओं का समाधान करने के बजाय एक-दूसरे को विभाग की जिम्मेदारी बताने का प्रयास करते रहे।
सीवर ओवरफ्लो की समस्या से सेक्टर जूझ रहा
वहीं सेक्टर-62 के आरडब्ल्यूए की शिकायत थी कि एनएचएआई द्वारा बनाए जा रहे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के कारण सेक्टर की सीवर लाइन काफी समय से टूटी हुई है। जिसे न तो एचएसवीपी ठीक कर रहा है और न ही एनएचएआई (NHAI)। सीवर ओवरफ्लो की समस्या से सेक्टर जूझ रहा है।
अध्यक्ष संभागायुक्त विकास यादव ने जब दोनों विभागों के अधिकारियों से जवाब मांगा तो अधिकारियों ने एक-दूसरे की गलती बताई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। अध्यक्ष ने दोनों विभागों को प्रस्ताव बनाकर समस्या का समाधान करने का आदेश दिया है। सेक्टर 18 निवासी रामलाल हंस ने शिकायत की कि बादशाहपुर गांव में उसके खेतों के पास से गुजरने वाले नाले में पानी अधिक होने से किले की करीब 15 फसल हर बार बह जाती है।
उत्तर प्रदेश का नाला बोलकर पल्ला झाड़ा
गौरतलब है कि इस संबंध में जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगा गया तो उन्होंने भी यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि यह उत्तर प्रदेश का नाला है। झाड़सेतली गांव निवासी धरम सिंह डागर ने शिकायत की कि उनके गांव के दोनों ओर सेक्टर 58-59 औद्योगिक क्षेत्र स्थित है, किंतु प्रदूषण रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है।
डागर ने यह भी बताया कि दूषित पानी के कारण गांव के 20 लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है। शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ। इस पर अध्यक्ष ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच कर दोनों सेक्टरों में चल रही औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया।