अगर कोई फरीदाबाद से पूछे की कैसा गया आपका 2022 तो यकीनन जवाब यही आएगा की साल भर प्रदूषण ने जीने नही दिया और न ही नए साल में जीने देगा। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में सबसे पड़ी समस्या प्रदूषण है, जिसे खत्म करना या नियंत्रित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह सालों से खड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट भी प्रदूषण से परेशान
रोजाना फरीदाबाद में प्रदूषण का स्तर घटता व बढ़ता रहता है। बच्चे, बूढ़े, नौजवान, बीमार सभी लोग इस प्रदूषण के कहर से परेशान है। इस परेशानी को सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता का विषय मान लिया लेकिन राहत अब भी नही। गौरतलब है कि इसमें गलती केवल सरकार या प्रशासन की नही है बल्कि आम जनता भी बराबर के भागीदार है।
प्रदूषण कंट्रोल करने में कितना हुआ काम?
यह कहना गलत होगा की प्रशासन ने कोई प्रयास नहीं किया, देर से ही किया लेकिन दुरुस्त नहीं हो सका। लगातार प्रयासों के बावजूद स्तिथि बेहतर होने के परिणाम पर नहीं आ रहे। प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए स्मॉग गन का सहारा लिया गया लेकिन लोगो की शिकायत है कि ये नियमित रूप से नहीं चलते। इसके अलावा ग्रेप भी लागू किया गया लेकिन कोई सुधार नहीं मिला।
रोकथाम के बावजूद नही थम रहा प्रदूषण
वायु प्रदूषण को देखते हुए हर साल अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू किया जाता है। इस दौरान निर्माण कार्यों पर रोक के साथ ही खुले में रखी बालू, सीमेंट, मिट्टी, आदि की बिक्री पर भी रोक लगा दिया जाता है, लेकिन फिर भी अवैध निर्माण जारी है। खराब गाड़ियों की भी जांच होती है उसके बावजूद भी कई गाड़ियां सड़को पर गंदा धुआं छोड़ रही होती है।
क्यों बढ़ता है प्रदूषण?
वही पानी की समस्या भी बनी रहती है। सीवर लाइन टूटी होने से कई जगहों पर दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। नगर निगम कोई ठोस समाधान नहीं निकाल पा रहा है। ट्रैफिक उल्लंघन के कारण सड़कें जाम हो जाती हैं और एक स्थान पर लंबे समय तक खड़े वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से अधिक है, जो सामान्य से छह गुना अधिक है।