वैसे तो भारत की हर एक भूमि को वरदान है कि यहां हर भूमि पर कोई न कोई शौर्य वीर पैदा हुआ था और आज भी राजा के रूप में तो नहीं लेकिन भारत में शौर्य वीर आज भी पैदा होता है जो अपने देश की रक्षा और गौरव को बचाए रखते है। ऐसा ही हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में एक राजा हुआ करता था राजा नाहर सिंह। जिन्हे स्वप्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है।
9 जनवरी 1858 में राजा नाहर सिंह की हुई थी मृत्यु
राजा नाहर सिंह को 1857 के विद्रोह की लड़ाई में 9 जनवरी 1858 को मृत्यु दे दी गई। दुशासन अंग्रेजो द्वारा नाहर सिंह को चांदी चौक में फांसी के फंदे से लटका दिया और उनका सारा सारा राजपाठ, धन दौलत, संपति को अंग्रेजो ने जब्त कर लिया। इसलिए हरियाणा में राजा नाहर सिंह के मृत्यु तिथि को बलिदान दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।
राजा नाहर सिंह पार्क में मनाया जायेगा बलिदान दिवस
इस साल राजा नाहर सिंह की 165वी बलिदान दिवस होगी जिसे प्रगतिशील किसान मंच बड़े ही आदर और श्रद्धापूर्ण तरीके से कल मनाएगी। बताया जा रहा है कल बलिदान दिवस पर राजा नाहर सिंह पार्क ने उनकी मूर्ति की अच्छे से सफाई कर के माला पहनाने की परंपरा को निभाया जाएगा और साथ ही यज्ञ हवन का भी खास आयोजन किया जाएगा।
प्रगतिशील किसान मंच ने बताया बलिदान दिवस से जुड़ी कुछ खास बातें
प्रगतिशील किसान मंच के अध्यक्ष सत्यवीर डागर ने जानकारी देते हुए बताया कि बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह 32 वर्ष के थे, जब उन्होंने 1857 के विद्रोह के दौरान अपनी छोटी सेना को अंग्रेजों के खिलाफ मैदान में भेजा था। उन्हें 9 जनवरी 1858 को चांदनी चौक में फाँसी दे दी गई और उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई।
उन्होंने बताया कि प्रगतिशील किसान मंच हर साल श्रद्धा भाव से उनका शहादत दिवस मनाता आ रहा है और इस बार भी 9 जनवरी को सुबह 10 बजे हवन यज्ञ का आयोजन कर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी जाएगी। सत्यवीर डागर ने लोगों से आह्वान किया कि वे राजा नाहर सिंह के बलिदान दिवस पर अधिक से अधिक संख्या में बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह पार्क में आएं और शहीद राजा नाहर को श्रद्धासुमन अर्पित करें।